Thursday, 13th of November 2025

क्या है विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस? इस दिन के बारे में कितना जानते हैं आप?

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 11th 2025 02:27 PM  |  Updated: November 11th 2025 02:27 PM
क्या है विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस? इस दिन के बारे में कितना जानते हैं आप?

क्या है विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस? इस दिन के बारे में कितना जानते हैं आप?

GTC News: दुनिया भर में हर साल 10 नवम्बर को 'विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस' मनाया जाता है। इस दिन का मक़सद लोगों को सार्वजनिक परिवहन (पब्लिक ट्रांसपोर्ट) के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करना और इसके पर्यावरणीय व सामाजिक फ़ायदों के बारे में जागरूक करना है। यानी सीधा-सा मतलब है कि बस, मेट्रो, ट्रेन और ट्राम जैसे साधनों का उपयोग करके हम प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और ईंधन की खपत को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।

क्यों ज़रुरी है सार्वजनिक परिवहन?

सार्वजनिक परिवहन केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि सस्टेनेबेल डेवेलपमेंट की दिशा में एक अहम क़दम है। इसके कई फायदे हैं, जैसे:-

- वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी

- सड़कों पर ट्रैफिक जाम में कमी

- जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाना

- हर वर्ग के लोगों, ख़ासतौर पर बुज़ुर्गों और दिव्यांगों को सस्ती और सुरक्षित यात्रा मुहैया करवाना

- इससे शहरों को स्वच्छ, हरा-भरा और रहने योग्य बनाया जा सकता है।

क्यों हुई विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस की शुरुआत?

इस दिवस की शुरुआत सन् 2000 के दशक में हुई थी। उस समय तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण की वजह से दुनिया को प्रदूषण, ट्रैफिक और संसाधनों की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य सतत परिवहन के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय अहमियत को लोगों तक पहुंचाना है।

भारत में कैसे हैं हालात और क्या हैं चुनौतियां?

भारत में यातायात क्षेत्र सबसे तेज़ी से बढ़ते कार्बन उत्सर्जन का माध्यम है। यह देश के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 15 फ़ीसदी हिस्सा है, जिसमें से 90 फीसदी सड़क परिवहन से आता है। बढ़ती निजी गाड़ियों की वजह से प्रदूषण और जाम की लगातार समस्या बढ़ती ही चली जा रही है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के मुताबिक़, भारत के 35 बड़े शहरों में से केवल 8 शहरों में ही प्रभावी बस सेवाएं हैं, छोटे शहरों में हालात और भी ख़राब है।

जानकारों का दावा है कि सरकारों के पास अभी तक सार्वजनिक परिवहन को मज़बूत करने की दिशा में कोई ठोस नीति नहीं है। ज़्यादातर निवेश मेट्रो जैसी महंगी परियोजनाओं पर होता है, हालांकि बस आधारित रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटी) सस्ता और प्रभावी विकल्प हो सकता है।

'विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस' पर भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ज़ोर देते हुए कहा है कि सतत परिवहन ही स्वच्छ भविष्य की कुंजी है। अगर हम प्राइवेट व्हीकल्स की बजाए बसों, मेट्रो और ट्रेनों को अपनाएं, तो न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि हमारी ज़िंदगी भी आसान और हेल्थी होगी। ऐसे में सार्वजनिक परिवहन अपनाएं, पर्यावरण बचाएं।

समाधान और आगे की राह

भारत और दुनिया भर में इन क़दमों के ज़रिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाया जा सकता है:-

- इलेक्ट्रिक बसों और ट्रेनों का प्रयोग बढ़ाना

- भीड़ शुल्क (कंजेशन प्राइसिंग) और कार-फ्री जोन लागू करना

- पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए सुरक्षित मार्ग बनाना

- निजी और सरकारी साझेदारी से फंडिंग बढ़ाना

- सस्ती, भरोसेमंद और सभी के लिए सुलभ यात्रा प्रणाली बनाना