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            लखनऊ: वो पर्यटक जो जंगल सफ़ारी के शौकीन हैं, उनके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने उस तारीख़ का ऐलान कर दिया है, जिसका उन्हें लंबे समय से इंतज़ार था।
1 नवंबर से शुरू हो रही है जंगल सफ़ारी
असल में, उत्तर प्रदेश के बाघ अभयारण्यों और वन्यजीव अभयारण्यों में 2025-26 के लिए इको-टूरिज़्म और जंगल सफ़ारी का 1 नवंबर से आग़ाज़ हो रहा है, जो पारंपरिक 15 नवंबर की तारीख़ से पहले है। दरअसल यह फैसला पर्यटकों को ज़्यादा दिन सफ़ारी का मौक़ा देने और पर्यटकों के दबाव को कुछ हद तक कम करने के लिए लिया गया है। राहत की बात ये है कि यूपी फॉरेस्ट कॉर्पोरेशन (UPFC) ने इस बार पर्यटक झोपड़ियों और कॉटेज के किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।
UPFC के ख़ुलासे से हुए पुष्टि
यूपी के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा वेमुरी ने बताया कि इस बार सत्र जल्दी शुरू करने का मक़सद पर्यटकों को ज़्यादा दिन घूमने का अवसर देना है। इससे एक साथ आने वाले पर्यटकों की भीड़ को कम करने में भी मदद मिलेगी। UPFC के प्रबंध निदेशक ए के सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है कि किराए में बढ़ोतरी न होने से इस बार जंगल सफ़ारी में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
हालांकि, इस बार मॉनसून में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से पीलीभीत टाइगर रिज़र्व (PTR) और दुधवा टाइगर रिजर्व (DTR) के मुख्य वन क्षेत्रों में काफ़ी जलभराव हो गया था। दुधवा टाइगर रिज़र्व में दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और कतरनियाघाट वन्यजीव अभयारण्य भी शामिल हैं। इस वजह से सफ़ारी रूट्स पर मिट्टी की सड़कों की मरम्मत का काम थोड़ा मुश्किल हो गया था, लेकिन बचा काम अगले 4-5 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
सफ़ारी के लिए होगा सैकड़ों गाड़ियों का इंतज़ाम
जानकारी के मुताबिक़, इस बार सैलानियों के लिए एक नई सुविधा शुरू की जा रही है। अब वे सफ़ारी गाड़ियां ऑनलाइन बुक कर सकेंगे। पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में कुल 75 सफ़ारी गाड़ियां हैं, जिनमें से 50% ऑनलाइन बुक की जा सकेंगी और बाकी 50% मौक़े पर ही मिलेंगी। पर्यटकों की सेवा के लिए 120 प्रशिक्षित सफ़ारी गाइड तैयार हैं।
बहरहाल यह नई व्यवस्था पर्यटकों के लिए जंगल सफारी को और भी सुविधाजनक और सुलभ बनाएगी। जल्दी सत्र शुरू होने से पर्यटक प्रकृति का आनंद ज़्यादा समय तक ले पाएंगे। किराए में बढ़ोतरी न होने से यह यात्रा और भी किफायती हो जाएगी। ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा से पर्यटकों को लंबी कतारों से भी निजात मिलेगी।
वन विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि तमाम सफ़ारी गाड़ियां बेहतर हालत में हों और पर्यावरण के अनुकूल हों। 15 साल से पुरानी डीजल गाड़ियों पर रोक लगाने से वायु प्रदूषण कम होगा और वन्यजीवों के लिए एक स्वच्छ वातावरण बना रहेगा। प्रशिक्षित गाइड पर्यटकों को जंगल और वहां रहने वाले जानवरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जिससे उनका अनुभव और भी बेहतर होगा।
आपको बता दें कि यह सभी कोशिशें उत्तर प्रदेश को इको-टूरिज़म के क्षेत्र में एक प्रमुख गंतव्य बनाने की दिशा में उठाए गए क़दम हैं। पर्यटकों की सहूलियतों और वन्यजीवों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए ये अहम फैसले लिए गए हैं।
 
			 
			 
			 
			 
			 
			 
			