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लखनऊ/दिल्ली: प्याज ने अबकी बार किसानों के साथ ऐसा सुलूक किया है, जिसका अंदाज़ा भी उन्हें नहीं रहा होगा। दरअसल इस बार प्याज के सस्ते दाम ने किसानों की आंखों में आंसू ला दिए हैं। किसानों के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्याज की फसल पर निर्भर करती है, लेकिन नासिक से लेकर दिल्ली और दिल्ली से लेकर अलवर या लखनऊ तक के प्याज किसानों के हाथों मायूसी लगी है, क्योंकि मंडी में प्याज का भाव ना के बराबर आ पहुंचा है।
जानकारों का दावा है कि मौसम की अनियमितता, भारी बारिश और भंडारण सुविधाओं की कमी के चलते, देशभर के किसानों को अपनी मेहनत की कमाई को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होते देखना पड़ रहा है। आलम ये है कि मंडियों में प्याज सड़ रहा है, नतीजतन किसान कौड़ी के भाव अपनी प्याज की कमाई को बहा रहे हैं।
प्याज का भाव 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल
इस साल प्याज उत्पादक किसान काफ़ी नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। भारी बारिश ने नए बोए गए प्याज के साथ-साथ गोदामों में रखे प्याज को भी भारी नुकसान पहुँचाया है। बाज़ार में प्याज का भाव 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल है। गोदामों में रखे ग्रामीण प्याज़ ख़राब होने लगे हैं, टूटने लगे हैं। वज़न में भी काफ़ी कमी आई है। अगर आज के दामों पर प्याज़ बेचा जाए, तो लागत भी नहीं निकलेगी और अगर गोदामों में रखा जाए, तो प्याज ख़राब हो रहा है, लिहाज़ा किसान दोहरी मार झेल रहा है।
भारी बारिश भी बनी प्याज की दुर्गति की वजह!
ऐसा माना जा रहा है कि भारी बारिश के चलते लाल प्याज की खेती बड़े पैमाने पर हुई है। भारी बारिश की वजह से नए लगाए गए लाल प्याज को ख़ासा नुकसान हुआ है। कई महंगी दवाओं के छिड़काव और उर्वरकों के इस्तेमाल के बावजूद, प्याज की फसल में कोई सुधार नहीं हुआ है। अब किसान संगठन केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से प्याज के किसानों के लिए मुआवज़े की मांग कर रहे हैं, ताकि किसान भविष्य में अपनी आजीविका को चला सके।