Monday, 24th of November 2025

आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाक़ात के मायने हैं!

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 24th 2025 12:23 PM  |  Updated: November 24th 2025 12:57 PM
आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाक़ात के मायने हैं!

आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाक़ात के मायने हैं!

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव' कार्यक्रम के मंच पर मुलाक़ात के कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। 

सियासी जानकार ऐसा मानते हैं कि इस दौरान दोनों के बीच हुई गुफ़्तगू और फिर भाषणों में सनातन व हिंदुत्व के ज़िक्र ने 'सनातनी चेतना' के एजेंडे की भावी दिशा का संकेत दे दिया है। आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत से मुलाक़ात के बाद सीएम योगी ने 'घुसपैठ' से लेकर 'धर्मांतरण' पर क़रारा प्रहार किया। घुसपैठ और धर्मांतरण के पीछे छिपे चेहरों को ना सिर्फ़ चेताया गया, बल्कि सीधे तौर पर ललकारा गया। इस तरह के अतिसंवेदनशील मुद्दों पर सरकार की रीति-नीति में किसी नरमी की संभावनाओं को नकार दिया। यानी इस बाक को ग़लत नहीं होगा कि योगी-भागवत की मुलाक़ात 'सनातनी चेतना' के एजेंडे को रफ़्तार देगी।

आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने बेलागलपेट कहा कि घुसपैठियों को वापस उनके देश भेजने और प्रदेश के हर ज़िले में अस्थायी डिटेंशन सेंटर बनाने का भी एलान कर दिया। सीएम योगी ऐसे सभी एजेंडों पर ज़्यादा मुखरता से बात रख रहे हैं और बिल्कुल भीनरमी के मूड में नहीं दिख रहे हैं। गौरतलब है कि ये वही मुद्दे हैं, जिन पर संघ भी सक्रियता से काम कर रहा है, लिहाज़ा माना जा रहा है कि संघ प्रमुख से सीएम योगी की यह मीटिंग आने वाले वक़्त में इन्हीं मुद्दों को प्रमुखता से आगे बढ़ाती हुई नज़र आएगी।

अयोध्या में ध्वजारोहण से पहले हुई ये मुलाक़ात

सियासी गलियारों में ये माना जा रहा है कि राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होने वाले ध्वजारोहण से क़रीब 48 घंटे पहले राजधानी में संघ प्रमुख से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की मुलाक़ात में इन विषयों पर चर्चा ज़रूर हुई है। शायद यही वजह है कि गीता के ज्ञान के सहारे सीएम योगी ने साफ़ कर दिया है कि उनकी सरकार 'सांस्कृतिक पुनर्जागरण' के उस मुद्दे पर संजीदगी से काम करने का संकल्प ले चुकी है, जिसका उल्लेख पीएम मोदी ने अयोध्या में 'रामलला की प्राणप्रतिष्ठा' में किया था। याद रहे कि पीएम मोदी ने आज से क़रीब 22 महीने पहले जो कुछ कहा था, उसकी तैयारी का संकेत भी सीएम योगी के भाषण में बाक़ायदा दिखाई दिया।

मुद्दों को सुलझाने की नीति पर रहा ज़ोर

उल्लेखनीय है कि एक वक़्त वो था, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह सिर्फ़ एक मंदिर नहीं बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा, सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक चेतना, राष्ट्र गौरव का प्रतीक है। आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने उसी मंदिर पर ध्वजारोहण कार्यक्रम से पहले जब संघ प्रमुख की मौजूदगी में मिशनरियों की भूमिका पर सवाल उठाया, घुसपैठ ख़त्म करने का संकल्प जताया, धर्मांतरण पर हमला बोला, सियासी लाभ के लिए देश व समाज को बांटने और बहुसंख्यकों यानी हिंदुओं के हितों पर कुठाराघात करने वालों को न बख़्शने की बात की, तो ख़ुद-ब-ख़ुद साफ़ हो गया कि सनातनी सरोकारों पर सरकार आगे ज़्यादा आक्रामक दिख सकती है। महाभारत और गीता के उल्लेख के साथ योगी ने धर्म और अधर्म के संघर्ष और आख़िर में धर्म की जीत के उल्लेख के साथ साफ़ कर दिया कि सरकार अपने एजेंडे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह कमर कस चुकी है।

अब देखने वाली बात ये होगी कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में ध्वजारोहण करेंगे, तो आरएसएस-भाजपा का संयुक्त संदेश क्या होगा?