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दिल्ली: एक बार फ़िर से सोशल मीडिया पर मुख़्तार अंसारी तस्वीरें से तैर रही हैं, लेकिन इस बाद वजह कोई क़ानूनी अड़चन नहीं, बल्कि वजब है उनके बेटे उमर अंसारी का ख़ुशी का दिन। जी हां, दरअसल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपने दौर के माफ़िया रहे मुख़्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी का भव्य रिसेप्शन हुआ, जिसमें देश की सियासत के कई बड़े चेहरों ने बाक़ायदा शिरकत की। जानकारी के मुताबिक़ इस कार्यक्रम में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, सपा नेता धर्मेंद्र यादव, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पहुंचकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।
आपको बता दें कि रिसेप्शन में उमर रेड कोट में नजर आए और पत्नी का हाथ पकड़कर स्टेज तक ले गए। यहां शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने उन्हें बुके देकर बधाई दी। ओवैसी ने भी स्टेज पर पहुंचकर आशीर्वाद दिया।
ओवैसी और अफ़ज़ाल की तस्वीर पर सोशल मीडिया यूज़र्स की अजीबो-ग़रीब प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं, क्योंकि बीते दिनों ओवैसी परिवार और अंसारी परिवार में सियासी नोंक-झोंक की ख़बरें सामने आई थी, हालांकि अब दोनों ही परिवार उस ख़बर को खारिज कर रहे हैं।
अफ़ज़ाल अंसारी ने किया मेहमानों का स्वागत
अंसारी परिवार के लिए ख़ुशी के इस मौक़े पर कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी पत्नी नसीम के साथ शामिल हुए और इमरान मसूद के साथ बातचीत करते हुए ठहाके लगाते भी दिखाई दिए। वहीं कैराना से समाजवादी पार्टी की लोकसभा सांसद इकरा हसन अपने भाई नाहिद हसन के साथ पहुंचीं। सांसद प्रिया सरोज और नसीम सोलंकी ने साथ खड़े होकर तस्वीरें खिंचवाईं। रिसेप्शन में आए मेहमानों का स्वागत खुद ग़ाज़ीपुर के सपा सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने किया। आयोजन की पूरी ज़िम्मेदारी उमर के बड़े भाई MLA अब्बास अंसारी और भाभी निकहक अंसारी ने बख़ूबी संभाली। बिहार के दिवंगत बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे और नव-निर्वाचित विधायक ओसामा शहाब भी इस शाही महफ़िल में मौजूद रहे।
15 नवंबर को हुई थी उमर अंसारी की शादी
उमर अंसारी का निकाह 15 नवंबर को दिल्ली के अशोक लॉन में हुआ था, जिसमें परिवार और ख़ास मेहमान ही शामिल हुए थे।
याद रहे कि उमर अंसारी हाल ही में 30 अक्टूबर को कासगंज जेल से रिहा हुए थे। उन पर अपनी मां के फर्ज़ी हस्ताक्षर कराने के मामले में कार्रवाई हुई थी। इस केस में उमर को 3 अगस्त को लखनऊ से गिरफ़्तार किया गया था। बाद में सुरक्षा कारणों का हवाला देकर 23 अगस्त को उनकी जेल बदलकर उन्हें ग़ाज़ीपुर से कासगंज भेजा गया। कुछ समय बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट से उन्हें ज़मानत मिल गई, जिसके बाद वे रिहा हुए।