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GTC News: 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के नतीजे सामने आ चुके हैं और एनडीए ने 202 सीटों के साथ एक बार फ़िर से बिहार में ज़ोरदार दस्तक दे दी है। बिहार विधानसभा चुनाव में ख़ासतौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी रैलियों ने भी ख़ूब सुर्ख़ियां बंटोरी। सीएम योगी ने विपक्ष पर जमकर ज़ुबानी हमले बोले, ख़ूब तंज़ कसे, लेकिन इस सबका कितना फायदा एनडीए उम्मीदवारों को हुआ, आइए इस पर नज़र दौड़ाएं।
सियासी जानकारों का ऐसा मानना है कि बिहार चुनाव के नतीजों पर ग़ौर किया जाए तो 2020 और 2025 में सीटों के अलावा हार-जीत के मार्जिन में भी बड़ा उलटफ़ेर हुआ है। ये उलटफ़ेर उन 31 विधानसभा सीटों पर हुआ है, जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसभाएं की थीं। ऐसे में कहा जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ ने बिहार के बहाने 2025 में ही यूपी का ‘2027 वाला होमवर्क’ पूरा कर लिया है।
कहां से कौन जीता, कैसे जीता?
दानापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के रामकृपाल यादव की जीत दर्ज की है, जबकि 2020 में यहां से RJD के रीतलाल यादव 15924 वोट से जीते थे, वहीं इस बार NDA की जीत हुई और हार जीत का अंतर 29,133 वोट रहा। वहीं अगिआंव सीट पर BJP ने जीत दर्ज की है, यहां पिछली बार हुए उपचुनाव में CPI के शिवप्रकाश रंजन ने 48,550 वोटों से बड़ी जीत हासिल की थी। गौरतलब है कि इस बार के चुनाव में यहां से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली हुई, जिसका नतीजा यह रहा कि बीजेपी ने 95 वोटों से विजय हासिल की।
योगी के प्रचार का कितना असर पड़ा?
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बिहार की 31 विधानसभाओं में धुआंधार रैलियां की। सीएम योगी के आक्रामक भाषणों और संबोधन में बुलडोज़र एक्शन और माफ़ियाओं को पस्त करने की बात हल्ला बोलती रही, जिसका नतीजा ये हुआ कि परिहार विधानसभा सीट पर BJP की गायत्री देवी ने 2020 में 1569 वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि इस बार 2025 के चुनाव में उन्होंने 15690 वोटों से जीत दर्ज की।
इसी तरह बक्सर विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में कांग्रेस के संजय तिवारी ने 3,892 वोटों से जीत दर्ज की थी, जबकि 2025 के चुनाव में BJP के आनंद मिश्रा ने 28253 वोटों के बड़े अंतर से विजय हासिल की। सिवान विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में RJD के अवध बिहारी चौधरी ने 1973 वोटों से जीत हासिल की थी, इस बार सिवान सीट पर BJP प्रत्याशी मंगल पांडेय ने 9370 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
इस बात को कहना ग़लत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ की रैलियों के बाद ना केवल माहौल बदला, बल्कि जनविश्वास भी बढ़ा। इस दावे को मुज़फ्फ़रनगर विधानसभा सीट का परिणाम मज़बूत करता है। दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विजेंद्र चौधरी ने 6,326 वोटों से जीत हासिल की थी, जबकि, इस बार 2025 के चुनाव में BJP के रंजन कुमार ने 32, 657 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
अगर हम बात करें अतरी विधानसभा सीट की, तो यहां पर RJD के अजय यादव ने 2020 में 7931 वोटों से जीत हासिल की थी, वहीं, इस बार 2025 में HAM के प्रत्याशी रोमित कुमार ने 25,777 वोटों के बड़े अंतर से ये सीट अपने क़ब़ेजे में की है
कुल-मिलाकर कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिहार में जिन 31 विधानसभा सीटों पर रैलियां की थीं, वहां जीत के आंकड़े काफ़ी किफ़ायती संदेश दे रहे हैं। साल 2020 के नतीजों पर नज़र डालें तो इन 31 सीटों में से 20 सीटें एडीए के खाते में गईं थी, जबकि साल 2025 के नतीजों में एनडीए ने इन 31 सीटों में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की है।
कहां-कहां मिली एनडीए को हार?
हालांकि, बिहार में एनडीए जिन तीन सीटों पर हारा, उनमें रघुनाथपुर, गरखा और बिस्फी विधानसभा सीटें शामिल थीं। इन सीटों पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार किया था। रघुनाथपुर में जेडी(यू) उम्मीदवार विकास सिंह, राजद उम्मीदवार ओसामा शहाब से हार गए। गरखा में, राजद के सुरेंद्र राम ने लोजपा (राजग) उम्मीदवार सीमांत मृणाल को हराया। इसी तरह बिस्फी में बीजेपी प्रत्याशी हरिभूषण ठाकुर राजद प्रत्याशी आसिफ़ अहमद से हार गए।
ऐसे में लब्बोलुआब यही है कि योगी आदित्यनाथ की एंट्री से भाजपा और एनडीए प्रत्याशियों के लिए बिहार विधानसभा में पहुंचने की राह आसान हो गई, क्योंकि चुनाव में माहौल का असर सबसे ज़्यादा रहता है, ये बात किसी से छिपी नहीं है और माहौल बनाने के लिए भाजपा के पास योगी के रूप में तुरुप का इक्का है।