Friday, 31st of October 2025

ख़तरनाक बीमारी की ज़द में आने से हुई असरानी की मौत!

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  October 21st 2025 01:19 PM  |  Updated: October 21st 2025 02:53 PM
ख़तरनाक बीमारी की ज़द में आने से हुई असरानी की मौत!

ख़तरनाक बीमारी की ज़द में आने से हुई असरानी की मौत!

मुंबई: ये बात तो क़ुदरती तौर पर सही है कि जो आया है, उसको जाना भी है, लेकिन कुछ लोगों की मौत हर किसी को झकझोर देती है, सोचने पर मजबूर कर देती है या कहें कि दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर कर देती है। दुनियाभर में सदियों से लोग दुनिया को रोज़ाना अलविदा कहते आए हैं, लेकिन दुनिया बदस्तूर चलती रहती है। आज एक और जाना-पहचाना चेहरा, जाना-पहचाना नाम, हमारे बीच नहीं रहा, जिनके चुटीले अंदाज़ हमेशा याद किए जाते रहेंगे। जी हां, मैं बात कर रहा हूं सिने-जगत के मशहूर अदाकार असरानी की।

मायूस चेहरों पर मुस्कुराहट ला देने की कला के असाधारण तौर पर माहिर रहे असरानी, आज अपने करोड़ों चाहने वालों के चेहरों में मायूसी, उदासी छोड़कर हमेशा के लिए इस दुनिया से रुख़्सत हो गए। बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन असरानी ने 84 साल की उम्र में आख़िरी सांस ली। जानकारी के मुताबिक़, असरानी फेफड़ों की गंभीर बीमारी से लंबे समय से जूझ रहे थे। 

किस क़दर बिगड़ती गई असरानी की सेहत?

असरानी के क़रीबी दोस्तों और रिश्तेदारों के बक़ौल, "असरानी 5 दिन से मुंबई के आरोग्य निधि अस्पताल में एडमिट थे, डॉक्टरों ने बताया कि उनकी क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (COPD) बिगड़ गई थी, सांस लेने में दिक्क़त इतनी बढ़ गई थी कि उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा, डॉक्टरों की मानें तो ऐसे मरीज़ों के लिए पटाखों के धुएं से होने वाला पॉल्यूशन काफी ज़्यादा ख़तरनाक साबित होता है, दरअसल, फायरक्रैकर्स से निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों की नलियों को सिकोड़ देते हैं, इससे सांस फूलने, खांसी और ब्रॉन्काइटिस आदि की दिक़्कत बढ़ जाती है, ऐसे पॉल्शून की वजह से असरानी जैसे बुज़ुर्गों में फेफड़ों की क्षमता 30 पर्सेंट तक कम हो जाती है।"

क्या पॉल्यूशन बनी असरानी की मौत की वजह?

दिवाली वाले दिन यानी 20 अक्टूबर की बात करें तो देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी पॉल्यूशन की ज़द में आने से ख़ुद को नहीं बचा पाई। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक़, मुंबई में 20 अक्टूबर को दिनभर पीएम 2.5 औसतन 339  माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो डब्ल्यूएचओ की लिमिट 50 से क़रीब 6 गुना ज़्यादा है। हवा में मौजूद पीएम 2.5 के कण फेफड़ों के अंदर घुसकर सूजन पैदा करते हैं। इंडियन चेस्ट सोसायटी की रिपोर्ट कहती है कि दिवाली के बाद रेस्पिरेटरी इंफेक्शन 40 पर्सेंट बढ़ जाते हैं। ऐसे में अगर ये कहा जाए कि मायानगरी मुंबई में दिवाली के मौक़े पर बढ़ा बेतहाशा प्रदूषण भी असरानी की जल्दी मौत की वजह बना, तो शायद ग़लत नहीं होगा।

फेफड़ों के मरीज़ों के लिए बेहद ख़तरनाक होता है ये प्रदूषण!

मेडिकल एक्सपर्ट्स का दावा है कि दिवाली का प्रदूषण फेफड़ों के लिए ज़हर की तरह होता है। मुश्किल बात ये रहती है कि दिवाली के बाद पैदा होने वाला स्मॉग का असर एक हफ़्ते तक रहता है, जिससे फेफड़ों 25 पर्सेंट तक ही काम कर पाते हैं। वहीं, क्रॉनिक बीमारियों वाले मरीज़ों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। दरअसल, PM2.5 के कण खून में घुसकर हार्ट अटैक का ख़तरा भी कई गुणा तक बढ़ जाता है।

दिवाली के पॉल्यूशन से ख़ुद को कैसे बचाएं?

जैसा कि हम जानते हैं कि दिवाली का प्रदूषण शॉर्ट-टर्म में अस्थमा और COPD बढ़ाता है। ऐसे में लॉन्ग-टर्म में कार्डियो-रेस्पिरेटरी डिजीज, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है। इसके अलावा AQI 335 पर सांस की बीमारियां 40 पर्सेंट तक बढ़ जाती हैं। ऐसे हालाता में किसी भी तरह की दिक़्कत से बचने के लिए मास्क लगाना चाहिए और जब तक बहुत ज़रुरी ना हो, बाहर निकलने से बचना चाहिए। हो सके तो बाहर निकलते वक़्त चश्मे का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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