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ग्रेटर नोएडा: साल 2015 में ग्रेटर नोएडा के दादरी में मोहम्मद अख़लाक़ की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस मामले के आरोपियों के ख़िलाफ़ तमाम मामलों को वापस लेने जा रही है। योगी सरकार के इस फैसले पर एआईएमआईएम चीफ़ असदुद्दीन ओवैसी ख़ासे नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इस बात की तस्दीक़ बाक़ायदा ख़ुद ओवैसी की एक एक्स पोस्ट करती है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि साल 2015 में दादरी में अख़लाक़ की गोमांस रखने के झूठे आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी, उस वक़्त भारतीयों को लिंचिंग का मतलब तक पता नहीं था, लेकिन आज लिंचिंग आम बात हो गई है।
2015 में दादरी में अख़लाक़ पर गौ-मांस का झूठा इल्ज़ाम लगाकर लिंच कर दिया गया था। तब भारतीयों को लिंचिंग का मतलब भी नहीं पता था। आज लिंचिंग आम बात हो गई है। अख़लाक़ के परिवार ने उसकी लिंचिंग अपनी आँखों से देखी थी, वे आज तक उस सदमे से उबर नहीं पाए। दस साल में किसी को सज़ा नहीं हुई।… pic.twitter.com/qwS1b785If
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 20, 2025
यही नहीं, ओवैसी ने बेलागलपेट कहा कि अख़लाक़ के परिवार ने उसकी लिंचिंग अपनी आंखों से देखी थी, उसका परिवार अब तक उस सदमे से उबर नहीं पाया है, पिछले 10 सालों में किसी को सज़ा नहीं मिली, अब सीएम योगी ने अख़लाक़ के हत्यारों के ख़िलाफ़ मुक़दमे वापस लने का फैसला किया है। सरकार के मुताबिक, यह फ़ैसला सामाजिक समरसता के हित में है, जिस पर असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर तंज़ कसते हुए कहा कि अन्याय की बुनियाद पर समरसता मुमकिन नहीं है।
ओवैसी ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर कसा तंज़
AIMIM चीफ़ ने दो टूक कहा है कि सीएम योगी क़ानून-व्यवस्था के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन बीजेपी का असली चेहरा यही है कि वह हमेशा दोषियों के साथ खड़ी दिखाई देगी।
मॉब लिंचिंग के आरोपियों के ख़िलाफ़ मामले वापस ले रही सरकार
योगी सरकार के अख़लाक़ की मॉब लिंचिंग मामले के आरोपियों के ख़िलाफ़ तमाम मामलों को वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक़, ज़िले के अतिरिक्त ज़िला सरकारी वकील भाग सिंह भाटी के मुताबिक़, राज्य सरकार ने अभियोजन वापस लेने के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा है, आवेदन सूरजपुर अदालत में प्रस्तुत किया गया और इस पर 12 दिसंबर को सुनवाई होगी।
अख़लाक़ के वकील का क्या कहना है?
अख़लाक़ के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील यूसुफ़ सैफ़ी ने कहा कि उन्होंने अभी तक आधिकारिक दस्तावेज़ नहीं देखे हैं, इसीलिए फ़िलहाल कुछ भी जल्दबाज़ी होगी।
क्या है अख़लाक़ की हत्या का मामला?
गौरतलब है कि यह मामला 28 सितंबर 2015 को सामने आया था। असल में ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में लाउडस्पीकर पर कथित घोषणा की गई कि अख़लाक़ ने गाय को मारकर उसका मांस फ्रिज़ में रखा हुआ है, जिसके बाद भीड़ ने उसके घर में घुसकर पीट-पीटकर उसे मार डाला था, अख़लाक़ को बचाने की कोशिश में उनके बेटे दानिश को भी गंभीर चोटें आईं थीं। नजीजतन अख़लाक़ की पत्नी इकरामन ने उसी रात जारचा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें 10 नामजद और चार-पांच अज्ञात लोगों पर इल्ज़ाम लगाए गए थे, अख़लाक़ और दानिश को नोएडा के एक निजी अस्पताल ले जाया गया था, जहां अख़लाक़ को मृत घोषित कर दिया गया था, बाद में उसके बेटे दानिश को दिल्ली के ‘आर्मी रिसर्च एंड रेफरल' अस्पताल रेफर किया गया था। मृतक अख़लाक़ का बेटा मुहम्मद सरताज भारतीय वायु सेना में कार्यरत है।