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लखनऊ: अगर आप उत्तर प्रदेश में सरकारी या प्राइवेट नौकरी करते हैं, तो ये ख़बर आपके ही लिए है। देशभर में सरकारी सेवाओं को निजी कंपनियों की सेवाओं से बेहतर मानने का कल्चर रहा है, जिसकी सबसे अहम वजह सुरक्षित सेवा तो है ही साथ ही काम करने की अवधि के क़ायदे-क़ानून भी हैं।
ऐसे में प्राइवेट सेक्टर के कर्माचारी भावनात्मक तौर पर ख़ुद को कहीं ना कहीं कमतर आंकने की ग़लती कर जाते हैं।इस खालीपन को भरने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नई क़वायद ईजाद की है। दरअसल निजी प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को काम करने के दौरान वाजिब हक़ दिलाने के मक़सद से योगी सरकार ने नए प्रावधान तय किए हैं। अब नए सुधारों के ज़रिए कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की दिशा मे बड़ा क़दम उठाया गया है तो वहीं, दंडात्मक कार्रवाई से पहले सुधारात्मक कार्रवाई का भी बंदोबस्त किया गया है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के हितों के मद्देनज़र लिए ये बड़ा क़दम माना जा रहा है।
नए प्रावधान सरकारी-प्राइवेट सेक्टर को करेंगे प्रभावित!
आपको बता दें कि योगी सरकार ने दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम 1962 में इसके बाबत ज़रूरी संशोधन किए हैं। अब इस क़ानून की परिधि में शहरी प्रतिष्ठान ही नहीं आएंगे, बल्कि ग्रामीण व क़स्बाई इलाक़ों समेत पूरे सूबे में इसे लागू किया जाएगा। अधिनियम का दायरा बढ़ा दिया गया है, अब इसके तहत मेडिकल क्लिनिक , पॉलीक्लिनिक, डिलीवरी होम, आर्किटेक्ट, टैक्स कंसलटेंट, तकनीकी सलाहकार, सर्विस प्रोवाइडर, सर्विस सेंटर औ इनके समकक्ष तमाम व्यावसायिक संस्थान आ जाएंगे।
महिलाओं के हितों का ख़ास ख़्याल रख रही है यूपी सरकार!
नए श्रम नियमों के ज़रिए किसी दुकान, व्यावसायिक संस्थान या अन्य ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों को काम करने के तय समय, ज़रुरी सुविधाएं व ज़रूरी अधिकार मुहैया कराए जा रहे हैं। इसी के तहत महिला कर्मचारियों की सहूलियत के लिहाज़ से रात की शिफ्ट की अवधि में भी बदलाव किया गया है। अब रात की शिफ्ट शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक मानी जाएगी। जबकि इससे पहले यह अवधि रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक हुआ करती थी। नए नियम की वजह से शाम सात बजे के बाद कार्यरत महिलाओं का श्रम नाइट शिफ्ट का माना जाएगा।
तमाम कर्मचारियों के ओवरटाइम में हुए बदलाव
जानकारी के मुताबिक़ अब रोज़ाना काम करने के घंटे 8 से बढ़ाकर 9 घंटे कर दिए गए हैं। हालांकि पूरे हफ़्ते कुल काम करने की अवधि पहले की ही तरह 48 घंटे ही रहेगी। गौरतलब है कि अब किसी प्रतिष्ठान में कर्मचारी से एक दिन में ज़्यादा से ज़्यादा 11 घंटे तक ही काम लिया जा सकेगा, जबकि अभी तक ये मियाद 10 घंटे की हुआ करती थी। ओवरटाइम की सीमा भी तय कर दी गई है। अब कर्मचारी तीन महीने में अधिकतम 144 घंटे काम कर सकता है, इससे पहले ज़्यादा से ज़्यादा 125 घंटे ही ओवरटाइम किया जा सकता था। अब ओवरटाइम करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त काम के हर घंटे के लिए सामान्य प्रति घंटे की मज़दूरी का दोगुना भुगतान दिया जाएगा।
क्या नियोक्ता की बढ़ सकती हैं दिक़्क़तें?
उल्लेखनीय है कि जिन जगहों पर कर्मचारियों को खड़े होकर अपना काम करना होता है, वहां अब नियोक्ता की ज़िम्मेदारी होगी कि उन्हें आराम देने के लिए बैठने के इंतज़ाम भी किए जाएं। अब नियोक्ता को अपने हर कर्मचारी को अप्वाइंटमेंट लेटर देना भी ज़रूरी होगा, जिसमें नौकरी का सारा ब्यौरा दर्ज रहेगा। दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम 1962 में संशोधन के बाद कोताही बरतने पर सज़ा और जुर्माने के प्रावधान ज़्यादा सख़्त कर दिए गए हैं। अभी तक नियमों का पालन ना करने पर अधिकतम पांच सौ रुपए तक का जुर्माना लगा करता था, लेकिन अब पहली बार ग़लती करने पर दो हज़ार रुपए देने पड़ेंगे, जबकि दूसरी बार ग़लती करने पर दस हज़ार रुपए तक जुर्माना देना पड़ेगा।