Sunday, 9th of November 2025

भारत ने क्यों दी राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस को सबसे पहले मान्यता?

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 08th 2025 12:59 PM  |  Updated: November 08th 2025 12:59 PM
भारत ने क्यों दी राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस को सबसे पहले मान्यता?

भारत ने क्यों दी राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस को सबसे पहले मान्यता?

GTC News: किसी के परिवार में, किसी के गांव, किसी के रिश्तेदारों में या किसी के दोस्तों-जानकारों में कोई ना कोई कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जद्दोजहद कर रहा है। हालांकि ग़नीमत ये है कि बावजूद कैंसर के तेज़ी से पैर पसारने के, कैंसर बेशक़ लाइलाज नहीं है, बशर्ते कि जागरुकता के साथ इलाज को अपनाया जाए और ज़रुरी परहेज़ों का ख़्याल कर कैंसर से लड़ने का माइंडसेट बनाया जाए। कैंसर की बीमारी के प्रति सावधानी बरतने के लिए भारत में हर साल सात नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

दरअसल इस ख़ास दिन का मक़सद लोगों को कैंसर के ख़तरे, इसके लक्षण, रोकथाम और समय पर जांच की अहमियत के बारे में जागरूक करना है। कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो यदि देर से पहचानी जाए तो इसका इलाज कठिन और महंगा हो सकता है। इसलिए यह दिन जनसाधारण में जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ आदतें अपनाने की प्रेरणा देता है।

भारत दुनिया का पहला देश है जिसने आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर जागरूकता दिवस को मान्यता दी है। भारत दुनिया का पहला देश है जिसने आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर जागरूकता दिवस को मान्यता दी है। गौरतलब है कि 2014 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कैंसर के बढ़ते रोग पर नकेल कसने के लिए इस दिन की शुरुआत की थी। आपको बता दें कि 7 नवंबर की तारीख़ को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह महान वैज्ञानिक मैरी क्यूरी का जन्मदिन है, जिनकी रेडियोधर्मिता पर की गई खोज ने कैंसर के उपचार में नई राहें खोलीं थी। ऐसा माना जाता है कि उनके योगदान की वजह से ही रेडियोथेरेपी जैसे आधुनिक उपचार पद्धति को विकसित किया जा सका।

क्यों तेज़ी से बढ़ रहा कैंसर का ख़तरा?

मेडिकल एक्सपर्ट्स का दावा है कि भारत की बेतहाशा फैलती आबादी और बदलती लाइफ स्टाइल कैंसर के मामलों में तेज़ी से हो रहे इज़ाफ़े का सबसे अहम और बड़ी वजह है। मेडिकल रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में हर साल क़रीब 11 लाख नए कैंसर के मरीज़ सामने आते हैं। ज़्यादा ख़तरनाक बात ये है कि दो-तिहाई मरोज़ों में बीमारी का पता तब चलता है, जब यह बेहद गंभीर अवस्था में पहुंच चुकी होती है, जिससे इलाज काफ़ी मुश्किल हो जाता है और जीवन दर कम होती चली जाती है। भारत में हर 8 मिनट में एक महिला की मृत्यु गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से होती है। वहीं पुरुषों में फेफड़ों और मुंह के कैंसर और महिलाओं में स्तन एवं मुंह के कैंसर के मामले सबसे ज़्यादा पाए जाते हैं।

कितनी किफ़ायती है रूस की नई कैंसर वैक्सीन एंटरोमिक्स?

कैंसर पर परमानेंट तौर पर नकेल कसने के बाबत रूस की नई कैंसर वैक्सीन एंटरोमिक्स की चर्चा दुनियाभर में की जा रही है, हालांकि एंटरोमिक्स के नतीजे कितने पॉज़िटिव हैं, इस पर अभी एक राय नहीं बन पाई है।

कैंसर से बचाव में रोकथाम है अचूक हथियार!

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 30 से 50 फ़ीसदी कैंसर के मामले केवल जीवनशैली में सुधार और जागरूकता से रोके जा सकते हैं, जैसे ...

1. तंबाकू और धूम्रपान से दूरी

2. संतुलित और पोषक आहार

3. शराब सेवन कम करें

4. नियमित स्वास्थ्य जांच

बहरहाल, कैंसर की बीमारी के बारे में जितना जल्दी पता चलता है, इलाज की कामयाबी के आसार उतने ही ज़्यादा रहते हैं। जानकारों का दावा है कि 40 साल से ऊपर के लोगों को सालाना जांच करवानी चाहिए, महिलाओं को स्वयं स्तन परीक्षण की आदत डालनी चाहिए। कुल-मिलाकर कैंसर कोई एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं, यह समाज, परिवार और स्वास्थ्य तंत्र की साझा ज़िम्मेदारी है। ऐसे में जागरूकता, समय पर पहचान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम कैंसर के ख़तरे को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस हमें यह मैसेज देता है कि रोकथाम ही सबसे कारगर इलाज है।

TAGS