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            लखनऊ : टीईटी की अनिवार्यता रहेगी या फ़िर सरकार इसके ख़त्म करने पर विचार कर सकती है, इसी के मद्देनज़र आगामी 24 नवंबर को देश की राजधानी दिल्ली में शिक्षक प्रदर्शन करते हुए नज़र आएंगे। दरअसल कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में शिक्षकों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के ख़िलाफ़ देश भर के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। लखनऊ में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक हुई, जहां शिक्षकों ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आर-पार के संघर्ष का एक सुर में ऐलान कर दिया।
अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की बैठक में फ़ैसला लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया, तो पूरे देश से क़रीब दस लाख शिक्षक दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करेंगे, जिनमें से उत्तर प्रदेश के कमोबेश 1.86 लाख शिक्षकों की भागीदारी होगी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई इस बैठक में राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी, राष्ट्रीय सह-संयोजक विनय तिवारी, अनिल यादव और संतोष तिवारी ने कहा कि 23 अगस्त 2010 से पहले कार्यरत शिक्षकों पर किसी भी सूरत में टीईटी लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि शिक्षकों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं होने दिया जाएगा, अगर ज़रूरत पड़ी तो संसद का घेराव करने पर भी विचार किया जाएगा।
इसके अलावा इस बैठक में ये भी तय किया गया कि 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशभर के सभी ज़िलों में शिक्षकों की बैठकें आयोजित की जाएंगी, ताकि 24 नवंबर के आंदोलन की पूरी तैयारी की जा सके। शिक्षकों के नेतृत्व ने ज़ोर देते हुए कहा कि एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन) का आदेश शिक्षकों की वर्षों की मेहनत और योग्यता पर सवाल खड़ा करता है, जिसी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिक्षकों की दलील है कि 55 वर्ष का शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाए या ख़ुद परीक्षा की तैयारी करे? शिक्षक नेताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी मांग की कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू पिटीशन में वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल तैयार करे और केंद्र सरकार से बातचीत कर 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी आदेश के पालन की दिशा में पहल करे।
 
			 
			 
			 
			 
			 
			 
			