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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हस्तशिल्प कारीगरों के हुनर को नए आयाम देने पर ज़ोर देते रहे हैं, जिसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं। कारीगरों की कारीगरी को उनकी ही कला के ज़रिए दुनिया जहां के सामने लाने की योगी सरकार की क़वायद रही है, ताकि उनको आर्थिक तौर पर मज़बूती मिल सके। इन कलाकारों के कौशल को लोगों ने भी ख़ूब पसंद किया है, जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं।
जानकारी के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में आयोजित माटीकला मेलों में प्रदेश के कारीगरों व हस्तशिल्प उत्पादों के विपणन में ज़बरदस्त उछाल देखा गया है। इस बीच बोर्ड ने 10 दिवसीय माटीकला महोत्सव, 07 दिवसीय क्षेत्रीय माटीकला मेले और 03 दिवसीय लघु माटीकला मेले आयोजित किए। इन तमाम मेलों में कुल 691 दुकानें लगाई गईं और ₹4,20,46,322 की बिक्री हुई। आपको बता दें कि यह पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में दर्ज कुल बिक्री ₹3,29,28,410 की तुलना में ₹91,17,912 ज़्यादा है, जो लगभग 27.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दिखाता है।
हालांकि इस वर्ष कुल दुकानों की संख्या कम ज़रूर रही, लेकिन फिर भी विक्रय में बढ़ोतरी ये यह दिखाता है कि उत्पादों की गुणवत्ता, प्रदर्शनी की व्यवस्था और विपणन सहयोग अधिक प्रभावशाली रहा। इससे यह भी ज़ाहिर होता है कि माटीकला उत्पादों के प्रति आमजन में जागरूकता और आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। माटीकला बोर्ड का मक़सद है कि मेलों, उन्नत प्रदर्शनी प्रबंधन, प्रशिक्षण, डिज़ाइन इन विकास व ब्रांडिंग गतिविधियों के ज़रिए से कारीगरों को दीर्घकालिक आर्थिक सशक्तिकरण मुहैया कराया जाए। ऐसी उम्मीद जताई जा रही कि आने वाले सत्रों में अधिक उपभोक्ता आधारित कार्यक्रमों के आयोजन से कारीगरों की उत्पादकता, विपणन दक्षता तथा आय वृद्धि सुनिश्चित की जाएगी।
आर्थिक तौर पर मज़बूत हो रहे हैं परंपरागत कारीगर
परंपरागत कारीगरों और शिल्पियों की कला को बचाने व संवर्धित करने, उनकी सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुदृढ़ता, तकनीकी विकास और विपणन सुविधा बढ़ाने और नवाचार के माध्यम से रोज़गार के मौक़े मुहैया कराने के उद्देश्य से योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड का गठन किया है। इस पहल के माध्यम से न केवल पारंपरिक माटीकला को नई पहचान मिली है, बल्कि हज़ारों परिवारों को आत्मनिर्भरता का नया आधार भी मिला है।
कारीगरों को मिल रही है अंतरराष्ट्रीय पहचान
इस बात को कहना ग़लत नहीं होगा कि योगी सरकार के सहयोग और बोर्ड की साझा कोशिशों का ही नतीजा है कि कारीगरों को सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ने का अवसर मिला है। गौरतलब है कि आगामी वर्षों में इन मेलों के दायरे का विस्तार कर और ज़्यादा जिलों में इस तरह के आयोजन किए जाएंगे, ताकि प्रदेश के माटीकला उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों से जुड़ सकें।