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GTC International: पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान के बीच तल्ख़ी का पनपना कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीच-बीच में बातचीत के ज़रिए आपसी मसलों को सुलझाने के लिए भी ये दोनों पड़ोसी देश वार्ताएं करते रहे हैं, हालांकि मुक़म्मत तौर पर ये दोनों ही देश अपने आपसी मामलों को मुक़म्मल तौर पर सुलझाने में नाकामयाब ही रहे हैं। एक बार फ़िर से वही हुआ, जिसके क़यास अंतरराष्ट्रीय बिरादरी लगा रही थी, दरअसल पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान के बीच तुर्की के ऐतिहासिक शहर इस्तांबुल में हुई शांति वार्ता बिना किसी मज़बूत वादे के ख़त्म हो गई, यानी इस बात को कहना सही होगा कि दोनों के बीच हुए शांति वार्ता की ये क़वायद असफ़ल साबित हो गई। दिलचस्प बात ये है कि दोनों पक्षों ने बातचीत के किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने के लिए एक-दूसरे को ज़िम्मेदार ठहराया है। गौरतलब है कि यह बातचीत बॉर्डर पर बढ़ते तनाव को कम करने और नाज़ुक संघर्षविराम को बनाए रखने के मक़सद को हांसिल करने के लिए हुई थी।
आपको बता दें कि बीते महीनों में दोनों देशों के बीच झड़पों में तेज़ी देखी जा रही है। इन संघर्षों में कई सैनिकों और आम नागरिकों की भी मौत हुई है। दरअसल यह हिंसा 9 अक्टूबर को काबुल में हुए विस्फ़ोटों के बाद भड़की थी।
अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार की मानें, तो ये हमले पाकिस्तान के ड्रोन हमले थे, नतीजतन तालिबान ने इनका बदला लेने की चेतावनी दी थी, लेकिन अतंरराष्ट्रीय बिरादरी की दख्लअंदाज़ी के बाद 19 अक्तूबर 2025 को कतर की मध्यस्थता में एक संघर्षविराम हुआ, जो अब तक क़ायम है।
अफ़ग़ानिस्तान सरकार ने पाकिस्तान को ठहराया ज़िम्मेदार
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने इस बाबत एक्स पर लिखा, "पाकिस्तान के ग़ैर-ज़िम्मेदार और असहयोगी रवैये की वजह से शांति वार्ता नाकामयाब रही, इस्लामिक अमीरात की सद्भावनाओं और मध्यस्थों की तमाम तरह की कोशिशों को बावजूद कोई परिणाम नहीं निकला, हम अपने क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश के ख़िलाफ़ नहीं होने देंगे और ना ही हम किसी भी क़ीमत पर अपनी संप्रभुता या सुरक्षा को कमज़ोर करने की इजाज़त देंगे।”
उधर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ के बक़ौल, "बातचीत ख़त्म हो चुकी है, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल लौट रहा है और किसी अगली बैठक की कोई योजना नहीं है, संघर्षविराम तब तक जारी रहेगा जब तक अफ़ग़ानिस्तान सरकार की तरफ़ से इसका उल्लंघन नहीं होता, तालिबान शासन अपने क्षेत्र में तहरीक़-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को पनाह दे रहा है, जो 2021 के बाद से पाकिस्तान में हमलों के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार है।"
हालांकि काबुल इन इल्ज़ामों को सिरे से खारिज करते हुए कहता है कि मुजाकिरात (वार्ता) असफ़ल होने की रात ही सरहद (सीमा) पर गोलाबारी हुई, जिसमें चार अफ़ग़ान नागरिक मारे गए और पांच घायल हुए। इसके जवाब में पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने कहा, "अफ़गा़न प्रतिनिधिमंडल किसी ठोस एजेंडा के बिना आया था और केवल मौखिक सहमति चाहता था, हम मौखिक समझौते का सम्मान करेंगे, लेकिन इसके लिए कोई जगह नहीं है, अब किसी चौथे दौर की ना तो योजना है, ना उम्मीद, बातचीत अनिश्चित विराम में चली गई है।”
याद रहे कि पाकिस्तान की सेना ने दावा किया है कि उसने अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तानी तालिबान के ठिकानों पर हवाई हमले किए गए, जिनमें दर्ज़नों आतंकी मारे गए, लेकिन अफ़ग़ान अधिकारियों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि हमलों में नागरिक मारे गए हैं, लिहाज़ा उन्होंने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया, जिसमें 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, पाकिस्तान ने 23 सैनिकों के हताहत होने की पुष्टि की है।
कुल-मिलाकर इन घटनाओं के बाद कतर ने दोनों पक्षों को राजधानी दोहा बुलाकर संघर्षविराम कराने में मदद की थी, जिसके बाद छह दिन तक इस्तांबुल में वार्ता चली, दोनों ने युद्धविराम बढ़ाने और 6–7 नवंबर को तीसरे दौर की बैठक पर सहमति जताई थी, लेकिन यह वार्ता भी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।