अमरोहा: उत्तर प्रदेश के अमरोहा से एक ऐसी ख़बर सामने आई है, जिसे सुनकर किसी की भी आंखे नम हो जाएं। दरअसल जैसे ही ये ख़बर अमरोहा की फिज़ाओं में घुली कि एक व्यक्ति की निकाह (मुस्लिम समुदाय में शादी की महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया को निकाह कहा जाता है) से कुछ घंटे पहले ही मौत हो गई, तो लोगों को सुनकर धक्का सा लगा। दुल्हे के क़रीबी रिश्तेदारों के मुताबिक़ शनिवार (8 नवंबर 2025) की रात निकाह के बाद बची हुई रस्मों को निभाने के लिए घर में ही तमाम तरह की तैयारियां चल रही थी। इस बीच घरवालों को सुबह क़रीब 4 बजे पता चला कि दूल्हे के सीने में तेज दर्द हुआ है, तो घरवाले आनन-फानन में दुल्हे को अस्पताल लेकर पहुंच गए, लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो चुकी थी, क्योंकि डॉक्टरों ने दुल्हें को मृत घोषित कर दिया। जैसे ही ये बुरी ख़बर नई नवेली दुल्हन को पता चली तो उनके पैरों से तले से मानों ज़मीन खिसक गई। अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि जिस दुल्हन की शादी को महज़ कुछ ही घंटे हुए हों, जिस दुल्हन के हाथों की महंदी भी अभी ना सूखी हो, अचानक अगर उसे ये पता चले कि जिसके साथ उसने जीने-मरने की क़सम खाई थी, वो ही नहीं रहे, तो उस पर क्या कुछ गुज़रेगी।
बहरहाल होनी को कौन टाल सकता है, लेकिन हुआ ऐसा कि कोई भी सोचने पर मजबूर हो जाए। नई-नवेली दुल्हन अपने पति की ख़बर सुनते ही बदहवास हो गई।
माता-पिता का पहले ही उठ चुका है साया
दुल्हे के रिश्तेदारों के बक़ौल, अमरोहा के मोहल्ला नौगजा में 42 साल के परवेज़ आलम उर्फ गुड्ड रहा रहते थे। उनके साथ 2 भाई पप्पू और असलम भी उसी घर में रहते हैं, परवेज़ के माता-पिता की पहले ही मौत हो चुकी है, परवेज़ उर्फ गुड्डू की जामा मस्जिद रोड पर किताबों की दुकान है। जानकारी के मुताबिक़ दोंनो भाई उसी दुकान पर बैठते हैं, माता-पिता की मौत के चलते परवेज़ की शादी में भी देर से हुई, परवेज़ की शादी दरबार के रहने वाले मोहम्मद अहमद क़ादरी की बेटी सायमा क़ादरी (33) से हुई थी। शनिवार शाम 6 बजे परवेज अपने घर से बारात लेकर मोहल्ला, नल नई बस्ती के नायाब बैंक्वेट हॉल पहुंचे, इसी बैंक्वेट हॉल में रविवार को परवेज़ और सायमा का वलीमा (रिसेप्शन) भी होना था।
बैंक्वेट हॉल में खाना-पानी हुआ फिर क़ाज़ी (निकाह करवाने वाला इस्लामिक विद्वान) ने परवेज़ और सायमा का निकाह पढ़ा, इसके बाद रात क़रीब 1 बजे परवेज़ दुल्हन को विदा कराकर अपने घर ले गए। घर में निकाह के बाद की रस्में पूरी की जानें लगी। रिश्तेदार और परिवार वाले भी काफ़ी ख़ुश नज़र आ रहे थे। सभी हंसी-मज़ाक कर रहे थे। तभी सुबह क़रीब 4 बजे रस्मों के बीच परवेज़ को सीने में दर्द और घबराहट महसूस हुई और सारा बदल गया और परवेज़ की मौत से परिवार और मोहल्ले में कोहराम मच गया और देखते ही देखते दुल्हन की ज़िंदगी की उजड़ गई और ख़ुशी के मौक़े पर ही हंसते-खेलते परिवार में मातम पसर गया।