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GTC News: तो आख़िरकार लंबी जद्दोजहद और माथापच्ची के बाद चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के तमाम नतीजों सार्वजिनक कर ही दिया है। यानी बिहार विधानसभा चुनाव में जो-जो उम्मीदवार हारे या जीते हैं, उनकी आधिकारिक तौर पर घोषणा की जा चुकी है। इस बात को कहना ग़लत नहीं होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ज़बरदस्त वापिसी हुई है। यक़ीनन बिहार में एनडीए ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। चुनाव नतीजों के मद्देनज़र नीतीश कुमार का फ़िर से बिहार का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि बिहार चुनाव में, मुक़ाबला जनता दल-यूनाइटेड के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और राजद के तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन के बीच था।
एनडीए खेमे में किसको कितनी सीटें मिली?
कुल-मिलाकर बिहार विधानसभा की 243 सीटों के विधायकों का बाक़ायदा ऐलान हो चुका है। सबसे हैरतअंगेज़ फैक्ट ये निकलकर सामने आया है कि इस चुनाव के नतीजों के बाद भारतीय जनता पार्टी बिहार में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी है। यानी बिहार के मतदाताओं के ज़रिए भाजपा सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली पार्टी बन चुकी है और 'पांच पांडवों' के दावों और वादों का जनता ने सलीक़े से स्वागत किया है। बहरहाल बीजेपी को 89 सीटें मिली है। वहीं जनता दल यूनाइटेड को 85 सीटें मिली हैं और वो जदयू बिहार में दूसरे नंबर की पार्टी बन चुकी है। इसके अलावा लोक जन शक्ति पार्टी (आर) को 19 सीटें मिली हैं। हम (एस) के प्रत्याशियों को कामयाबी मिली है। आरएलएल के उम्मीदवारों के 4 उम्मीदवारों को सफ़लता मिली है। गौरतलब है कि एनडीए को कुल 202 सीटें मिली हैं, जो कि अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।
इंडिया ब्लॉक में किसको कितनी सीटें मिली?
अगर बात करें 'इंडिया' गठबंधन की, तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को 243 में से 25 सीटें मिली है। वहीं राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को 6 सीटें ही मिल सकी हैं। भाकपा (माले) को 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है, जबकि माकपा को सिर्फ़ 1 ही सीट मिल सकी है। आपको बात दे कि महागठबंधन को कुल-मिलाकर 34 सीटों पर ही सिमटना पड़ा है।
इसके अलावा एआईएमआईएम को 5 सीटें मिली हैं, जो कि बेहतर प्रदर्शन कहा जा सकता है। मायावती के नेतृ्त्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को महज़ एक ही सीट मिल सकी है। आईआईपी को भी 1 सीट पर ही सिमटना पड़ा है।
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