Thursday, 13th of November 2025

दिल्ली में लगातार जारी है प्रदूषण का आपातकाल, गैस चैंबर बनी देश की राजधानी

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 13th 2025 11:31 AM  |  Updated: November 13th 2025 11:31 AM
दिल्ली में लगातार जारी है प्रदूषण का आपातकाल, गैस चैंबर बनी देश की राजधानी

दिल्ली में लगातार जारी है प्रदूषण का आपातकाल, गैस चैंबर बनी देश की राजधानी

GTC News: इस बात को कहना ग़लत नहीं होगा कि इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का आपातकाल क़ायम है, क्योंकि देश की राजधानी दिल्ली गैस-चैंबर बन चुकी है। मौसम विभाग के मुताबिक़, आज की तारीख़ में देशभर में दिल्ली और जींद की हवा सबसे ज़्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 418 रिकॉर्ड किया गया है। गौरतलब है कि 11 नवंबर दिल्ली के लिए साल का सबसे प्रदूषित दिन रहा, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 428 तक पहुंच गया था। आंकड़ों के मुताबिक़, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद गंभीर श्रेणी में पहुंच चुका है। हालांकि कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 10 अंकों का सुधार आया है।

रुझानों में सामने आया है कि दिल्ली की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। मौसम के जानकारों की मानें तो दिल्ली की फिज़ाओं में घुला ज़हर इतना ज़्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफ़ी है। 

दिल्ली में प्रदूषण से स्थिति किस क़दर ख़राब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 800 फ़ीसदी ज़्यादा है। दिल्ली की तरह ही आज जींद में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 418 रिकॉर्ड किया गया। कल जींद में एक्यूआई 376 दर्ज किया गया था। मतलब ये है कि कल से वहां प्रदूषण में 42 अंकों का उछाल आया है। डब्ल्यूएचओ मानकों के लिहाज़ से देखें तो जींद में प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 2,500 फ़ीसीद ज़्यादा है। दूसरी तरफ़ देश में श्री विजया पुरम की हवा सबसे साफ़ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज़ 15 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली की तुलना श्री विजया पुरम से करें तो वहां स्थिति 27 गुणा ख़राब है।

क्या कहता है केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 12 नवंबर, 2025 को 249 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 3.2 फीसदी शहरों में ही हवा साफ़ है। करीब 27.7 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ़ 69.1 फ़ीसदी शहरों में हालात बेहद ख़राब हैं। यानी की देश के ज़्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। दुख की बात यह है कि कल से देश में साफ़ हवा वाले शहरों की गिनती में 27.3 फ़ीसदी की गिरावट आई है। दूसरी तरफ़ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में क़रीब 8 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो कल से उनकी गिनती में क़रीब चार फ़ीसदी की गिरावट आई है। ख़राब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो उनकी गिनती में नौ फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी तरह बेहद ख़राब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में क़रीब 8 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है, जोकि चिंता की ख़बर है। 

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओज़ोन से हालात और भी ख़राब हैं। इन शहरों के विपरीत देश के 3.2 फ़ीसदी यानी महज़ आठ शहरों में हवा साफ़ है। इन साफ़ हवा वाले शहरों में आरा, चामराजनगर, गडग, नगांव, पालकालाइपेरुर, शिलांग, श्री विजया पुरम, विजयपुरा आदि शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में साफ़ हवा वाले शहरों की गिनती में 27 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई है। दूसरी तरफ़ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में क़रीब आठ फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है।      

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 249 में से महज आठ शहरों (-27.3) में हवा 'बेहतर' है। 69 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 11 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 64 दर्ज किया गया था। 123 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है। दूसरे शहरों की तुलना में आज दिल्ली और जींद (418) में स्थिति सबसे ज़्यादा ख़राब है, जहां एक्यूआई 420 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल दिल्ली में सूचकांक 428 रिकॉर्ड किया गया था। यानी की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 10 अंकों की गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।