Tuesday, 18th of November 2025

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को सज़ा-ए-मौत मिलने के बाद भारत का रुख़ क्या रहेगा?

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 18th 2025 12:14 PM  |  Updated: November 18th 2025 12:18 PM
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को सज़ा-ए-मौत मिलने के बाद भारत का रुख़ क्या रहेगा?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को सज़ा-ए-मौत मिलने के बाद भारत का रुख़ क्या रहेगा?

ढाका/नई दिल्ली: जिस तरह के क़यास अंतरराष्ट्रीय बिरदरी लगा रही थी, आख़िर वही हुआ। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीनो को सज़ा-ए-मौत की सज़ा का ऐलान किया जा चुका है। ऐसे हालात में अब सबकी नज़रें भारत पर आकर टिक गई हैं,क्योंकि शेख़ हसीन लंबे अरसे से भारत में रह रही हैं।

जानकारी के मुताबिक़, बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के दोषी के तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां ख़ान कमाल को मौत की सज़ा सुनाई है, इत्तेफाक़ से दोनों ही इस वक़्त भारत में रह रहे हैं।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

जैसे ही ये फ़ैसला सामने आया, यो यक़ीनन शेख हसीना के दिल की धड़कन तेज़ हो गई, शायद इसलिए क्योंकि शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ आए फ़ैसले के बाद बांग्लादेश ने भारत से शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर डाली। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, "एक नज़दीकी पड़ोसी होने के नाते, भारत बांग्लादेश के लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें वहां शांति, लोकतंत्र, समावेश और स्थिरता शामिल है, इस दिशा में भारत तमाम स्टेकहोल्डर्स के साथ हमेशा रचनात्मक रूप से जुड़ा रहेगा।"

बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

इससे पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया, "अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के फ़ैसले में भगोड़े शेख़ हसीना और असदुज्जमां ख़ान कमाल दोषी पाए गए हैं, मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के दोषी इन व्यक्तियों को कोई भी देश अगर शरण देता है तो इसे अमित्र व्यवहार माना जाएगा और ये न्याय की अवमानना ​​का गंभीर कृत्य होगा, हम चाहते हैं कि भारत सरकार दोनों दोषियों को फ़ौरन बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंपे, दोनों देशों के बीच मौजूद प्रत्यर्पण संधि के अनुसार यह भारत का दायित्व बनता है।"

भारत और बांग्लादेश के विदेश मंत्रालयों के इन वक्तव्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि कूटनीतिक लिहाज़ से आने वाला वक़्त दोनों महत्वपूर्व पड़ोसी देशों के लिए ख़ासा नाज़ुक रहना वाला है।

किस-किसको मिली, कितनी-कितनी सज़ा?

गौरतलब है कि शेख़ हसीना पर पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोप तय किए गए थे। भारत में निर्वासन में रह रहीं शेख़ हसीना की ग़ैर मौजूदगी में उनके ख़िलाफ़ मामला चलाया गया था। आपको बता दें कि जस्टिस मोहम्मद ग़ुलाम मुर्तज़ा मजूमदार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 ने ये फ़ैसला सुनाया है।

सूत्रों के बक़ौल, शेख़ हसीना समेत तीनों अभियुक्तों को न्यायाधिकरण ने दोषी पाया है। शेख़ हसीना पर लगाए गए पांच में से दो मामलों में मौत की सज़ा दी गई है जबकि दूसरे मामले में आजीवन कारावास की सज़ा हुई है। वहीं पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां ख़ान कमाल को भी मौत की सज़ा सुनाई गई है। पूर्व आईजी पुलिस अब्दुल्ला अल मनून को सरकारी गवाह बनने के बाद पांच साल की सज़ा सुनाई गई है।

शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ सबसे बड़ी दलील क्या है?

याद रहे कि पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान बांग्लादेश में कई हिंसक घटनाएं हुईं, उस वक़्त की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना पर इल्ज़ाम लगे कि मानवता के ख़िलाफ़ हुए इन अपराधों में उनका हाथ है।

इस आंदोलन की वजह से शेख़ हसीना को सत्ता गंवानी पड़ी थी और अगस्त 2024 में उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था। उस समय मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने दलील दी कि बीते साल जुलाई और अगस्त के दौरान 1,400 लोगों की हत्या की गई है और क़रीब 25 हज़ार लोग घायल हुए।