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लखनऊ: 'वंदे मातरम' के 150 साल मुक़म्मल हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वंदे मातरम’ गीत की 150वीं वर्षगांठ पर इसे राष्ट्र की सामूहिक चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा, "यह गीत न केवल गायन है, बल्कि कर्तव्यों की अभिव्यक्ति भी है, हम अपने अधिकारों की बात तो करते हैं, लेकिन क्या उतनी ही गंभीरता से कर्तव्यों का ज़िक्र करते हैं? यही कारण है कि पिछले आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने कर्तव्य पथ पर चलकर नई ऊंचाइयों को छुआ है।"
राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में...#VandeMataram150 https://t.co/bjS9pCLE8F
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 7, 2025
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “हमारे जवान सियाचिन के ग्लेशियर हो या थार के रेगिस्तान, सीमाओं की रक्षा करते हुए भी ‘वंदे मातरम’ गाते हैं, यह गीत फांसी के फंदे को चूमने वाले क्रांतिकारियों के होंठों पर था और आज भी हर भारतीय के दिल में राष्ट्रप्रेम जगाता है।”
गौरतलब है कि 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत बांग्ला और संस्कृत में लिखा गया, जिसमें जाति, धर्म या मज़हब का कोई ज़िक्र नहीं है, यह सभी वर्गों को एक सूत्र में बांधता है।
100 साल महामारी से हुई करोड़ों की मौत - योगी
सीएम योगी ने कहा कि क़रीब 100 वर्ष पहले एक महामारी में भारत की 30 करोड़ आबादी में करोड़ों लोग मारे गए थे, लेकिन आज़ादी के बाद, ख़ासतौर पर कोरोना काल में, भारत ने वैश्विक स्तर पर शानदार प्रबंधन किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ की भावना व्यक्ति को मत-मज़हब से ऊपर उठाकर राष्ट्र के लिए सोचने की प्रेरणा देता है।
क्या है वंदे मातरम का इतिहास?
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि 1950 में ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगीत की मान्यता दी गई थी, यह गीत आज़ादी की लड़ाई का मंत्र बना और आज भी नई राष्ट्रीयता का भाव पैदा करने में कामयाब रहा, उन्होंने कहा, “यह गीत केवल गायन नहीं, बल्कि कर्तव्यबोध का आह्वान है. यह हमें सिखाता है कि राष्ट्र सर्वोपरि है।”