लखनऊ/मेरठ: दिवाली के मौक़े देश की राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक जमकर आतिशबाज़ी की गई। ख़ासतौर पर दिल्ली से सटे बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया कि लोगों को अभी भी सांस लेना मुश्किल हो रहा है। आलम ये है कि दीपावली पर पटाखों के प्रदूषण से बड़े-बड़े शहरों की वायु गुणवत्ता लगातार बद् से बद्तर बन रही है। 
सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में अब मेरठ का नाम सामने आया है। जानकारी के मुताबिक़ मेरठ को उत्तर प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर बताया जा रहा है, जिससे मेरठवासियों की सुबह-शाम भी प्रभावित हों रही हैं। ख़ासतौर पर मेरठ में बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है। मौसम विभाग के बक़ौल, ग़ाज़ियाबाद, नोएडा जैसे शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन मेरठ में यह अभी भी बेहद ख़राब स्तर पर पहुंचा हुआ है।
मेरठ में हालात हुए बद् से बद्तर
23 अक्तूबर को एक्यूआइ 330 आंका गया। मेरठ के पल्लवपुरम और जयभीम नगर में तो और भी ज़्यादा गंभीर हालात बने हुए हैं। यहां दोपहर को पीएम 2.5 की मात्रा 410 से 442 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। ऐसी हवा में सांस लेना स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
पीएम 2.5 ही नहीं, ओज़ोन, अमोनिया, सल्फर डाई आक्साइड का स्तर भी बढ़ा हुआ है। हवा की रफ़्तार कम होने के चलते प्रदूषण की धुंध छंटने का नाम नहीं ले रही है, यानी स्मॉग से आमजन का हाल बेहाल हो चुका है। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के मौसम केंद्र प्रभारी डा. यूपी शाही ने बताया कि नवंबर की शुरुआत में पश्चिम विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है, उसी दौरान बारिश के भी आसार हैं, जिससे प्रदूषण में भी कमी देखी जा सकेगी।