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GTC News: सतीश कुमार सिंह यादव बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एकमात्र विधायक चुने गए हैं। उनकी जीत एक बेहद रोमांचक और क़रीबी मुक़ाबले की वजह से ख़ासी चर्चा में है।
बिहार में बसपा के एकमात्र विधायक सतीश कुमार सिंह यादव ने हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में रामगढ़ (कैमूर) विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की है। यह सीट बहुजन समाज पार्टी के लिए बिहार में एकमात्र सीट है, जिस पर पार्टी ने 243 में से 192 सीटों पर चुनाव लड़ा था। सतीश यादव की जीत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह बिहार चुनाव 2025 के सबसे नज़दीकी मुक़ाबलों में से एक था।
आपको बता दें कि सतीश कुमार सिंह यादव (बसपा) को 72,689 वोट मिले, जबकि उपविजेता अशोक कुमार सिंह (बीजेपी) ने 72,659 मत हांसिल किए। यानी जीत का अंतर महज़ 30 वोट का रहा। कुछ भो हो, लेकिन इस बेहद कम अंतर की जीत ने बहुजन समाज पार्टी को बिहार विधानसभा में अपनी मौजूदगी बनाए रखने में मदद की और पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार किया।
क्या है रामगढ़ सीट का राजनीतिक इतिहास?
रामगढ़ सीट पारंपरिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का गढ़ रही है। 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में भी आरजेडी ने यहां से जीत हासिल की थी। 2020 में भी बसपा ने इस सीट पर कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन आरजेडी से मात्र 189 वोटों के अंतर से हार गई थी। इस बार की जीत को बसपा ने पिछले चुनावों की हार का बदला लेने के रूप में देखा है। इस बार के चुनाव में बीजेपी के मौजूदा विधायक अशोक कुमार सिंह को शिकस्त मिली है। आरजेडी के उम्मीदवार अजीत कुमार तीसरे स्थान पर रहे।
कौन है सतीश कुमार सिंह यादव?
चुनावी हलफ़नामे के बक़ौल, 39 साल के सतीश कुमार सिंह यादव परास्नातक हैं। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) से बीपीएड और पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से एम.ए. (हिंदी) किया है। जहां तक बात है कुल संपत्ति की तो सतीश यादव ने हलफ़नामें में लगभग ₹2 करोड़ की संपत्ति को ज़ाहिर किया है। चुनावी हलफ़नामे की मानें तो बीएसपी के नवनिर्वाचित विधायक सतीश कुमार सिंह यादव के ख़िलाफ़ 2 आपराधिक मुक़दमे भी दर्ज हैं।
बहरहाल बसपा प्रमुख मायावती ने सतीश कुमार सिंह यादव की जीत पर उन्हें बधाई दी है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन और विपक्षी दलों ने बार-बार वोटों की गिनती के बहाने बसपा उम्मीदवार को हराने की हर मुमकि कोशिश की, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के दृढ़ संकल्प की वजह से यह साज़िश कामयाब नहीं हो पाई। सतीश कुमार सिंह यादव की यह जीत ना केवल बसपा के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि स्थानीय मुद्दों और सामाजिक समीकरणों पर आधारित जीत बिहार में बड़े राजनीतिक गठबंधनों को भी कड़ी टक्कर दे सकती है।