Sunday, 9th of November 2025

आज़म ख़ान, अब्दुल्ला आज़म और अखिलेश यादव की 'ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी'

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 08th 2025 11:21 AM  |  Updated: November 08th 2025 11:21 AM
आज़म ख़ान, अब्दुल्ला आज़म और अखिलेश यादव की 'ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी'

आज़म ख़ान, अब्दुल्ला आज़म और अखिलेश यादव की 'ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी'

लखनऊ: हाल ही में लंबे समय के बाद जेल से बाहर आए दिग्गज सपा नेता आज़म ख़ान अपनी बयानबाज़ी और अपनी अलहदा कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। एक बार उन्होंने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट पैदा कर दी है। दरअसल समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर मोहम्मद आज़म ख़ान अपनी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के आवास पर पहुंच गए। सूत्रों से मिली जानकाकी के मुताबिक़, इस दौरान नाश्ते पर कई अहम सियासी मामलों पर बातचीत की गई, जिसे ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी कहा जाए, तो शायद ग़लत नहीं होगा। ख़बर है कि ये मुलाक़ात पार्टी में एकता मज़बूत करने और आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति पर केंद्रित बताई जा रही है। 

यही नहीं, आज़म ख़ान ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कई सियासी हस्तियों से मुलाक़ात की। जैसे ही सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव और आज़म ख़ान और अब्दुल्ला आज़म की तस्वीरें सामने आने लगी तो उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल पैदा होने लगी।

आपको बता दें कि जेल से बाहर आने के बाद आज़म ख़ान पहली बार लखनऊ पहुंचे और अखिलेश के 5 विक्रमादित्य मार्ग स्थित निवास पर पहुंचकर यूपी की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि दोनों नेताओं के बीच चाय-नाश्ते के दौरान क़रीब डेढ़ घंटे तक बातचीत चली। ऐसे भी क़यास लगाए जा रहे हैं कि दोनों ने अपने आपसी गिले-शिकवे भी दूर करने की कामयाब कोशिश की। सपा सूत्रों के बक़ौल, चर्चा का मुख्य मुद्दा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक को मज़बूत करना, रामपुर-मुरादाबाद-अमरोहा जैसे क्षेत्रों में संगठनात्मक मज़बूती और 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियां थीं।

सियासी जानकारों की मानें तो यह मुलाक़ात अखिलेश और आज़म के बीच लंबे समय से चली आ रही अटकलों को विराम देने वाली लग रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि आज़म ख़ान का प्रभाव पश्चिम यूपी में सपा के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है, ख़ासतौर पर मुस्लिम-यादव गठजोड़ को मज़बूत करने में आज़म परिवार अपनी ज़ोरदार भूमिका निभा सकता है। सपा नेता आज़म ख़ान पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेताओं की फेहरिस्त में बड़ा मक़ाम रखते हैं, इस बात से अखिलेश यादव भी इंकार नहीं कर सकते हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में जातीगत समीकरण को बनाने-बिगाड़ने में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका काफ़ी मायने रखती है और फ़िलहाल मुस्लिम मतदाता आज़म ख़ाने के लिए भावुक हैं और वो उनके कहने पर वोट भी कर सकते हैं। यही वजह है कि 2027 से पहले अखिलेश यादव हर दांव-पेंच को परखना चाहते हैं, ताकि चुनावी नतीजों में जमा-घटा या गुणा-भाग के बहानों की गुंज़ाइश बाक़ी ना रहे ।