रामपुर: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आज़म ख़ान के लिए और बड़ी राहत भरी ख़बर सामने आई है। दरअसल एमपी-एमएलए कोर्ट से आज़म ख़ान को 'भड़काऊ भाषण' देने के मामले में बरी किया है।
जानकारी के मुताबिक़, समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर और पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म ख़ान को मंगलवार (11 नवंबर 2025) को बड़ी राहत मिल चुकी है, क्योंकि हेट स्पीच (भड़काऊ भाषण) मामले में MP-MLA कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए आज़म ख़ान को बरी कर दिया है।
गौरतलब है कि ये मामला साल 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार से जुड़ा हुआ था। असल में 23 अप्रैल 2019 को आज़म ख़ान ने रामपुर के मिलक थाना क्षेत्र के खटानागरिया गांव में चुनावी सभा को संबोधित किया था। दौरान आज़म ख़ान पर चुनाव आयोग पर टिप्पणी करने और मतदाताओं को उकसाने का इल्ज़ाम लगा था। यही नहीं, वरिष्ठ सपा नेता आज़म ख़ान पर आरोप लगा कि सभा में उन्होंने तत्कालीन रामपुर डीएम अन्जनेय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उम्मीदवार संजय कपूर पर कथित रूप से टिप्पणियां की थी, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आज़म ने चुनाव आयोग को ‘भ्रष्ट’ बताते हुए मतदाताओं को ध्रुवीकरण के लिए भी उकसाया था। जिसके बाद 24 अप्रैल 2019 को तत्कालीन एसडीएम पी पी तिवारी ने आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ सिविल लाइंस कोतवाली में मुक़दमा दर्ज करा दिया था।
अदालत ने क्या फ़ैसला सुनाया?
दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाया और आज़म ख़ान को तमाम आरोपों से बरी कर दिया, क्योंकि पुलिस की तरफ़ से आज़म के ख़िलाफ़ कोई मज़बूत सबूत पेश नहीं किया जा सका। आपको बता दें कि आज़म ख़ान की मौजूदगी में अदालत ने ये फ़ैसला सुनाया। जैसे ही कोर्ट के बाहर मौजूद आज़म समर्थकों ने ये ख़बर सुनी, तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
ख़बर ये भी है कि इसके साथ ही अदालत ने विवेचक के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं।
अदालत के फ़ैसले पर क्या बोले आज़म?
कोर्ट परिसर से बाहर आते ही आज़म ख़ान अपने चिर-परिचित अंदाज़ में नज़र आए। आज़म ख़ान ने अपनी जानी-पहचानी शैली में तंज़ कसते हुए कहा कि बहुत कम ऐसा हुआ है कि बेगुनाह ही बेगुनाह साबित हुआ है। आज़म ने दो टूक कहा कि पुलिस ने जिस तरह से मुक़दमा दर्ज किया, उन्होंने सच को छुपाने के लिए कोई कोर कसर बाक़ी नहीं छोड़ी थी,अगर हमें अदालत से बरी किया गया है, तो इसका मतलब यह है कि हमने सभी हदें पार की और उस साज़िश व मंसूबे बाज़ी के ख़िलाफ़ इंसाफ़ पाने में कामयाब हुए, जिसमें पूरे परिवार को मुजरिम बनाने की कोशिश की गई थी, तमाम सबूत-इलेक्ट्रॉनिक वीडियो और ऑडियो देने के बावजूद उन्हें नहीं माना गया।