Wednesday, 26th of November 2025

जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर ली शपथ

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 24th 2025 04:47 PM  |  Updated: November 24th 2025 04:48 PM
जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर ली शपथ

जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर ली शपथ

GTC News: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सोमवार, 24 नवंबर, 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक संक्षिप्त और गरिमामय समारोह में जस्टिस सूर्यकांत को पद की शपथ दिलाई। उन्होंने हिंदी भाषा में ईश्वर के नाम पर शपथ ली। जस्टिस सूर्यकांत ने न्यायमूर्ति बी. आर. गवई का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल रविवार शाम को समाप्त हो गया था।

समारोह में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति

शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और पूर्व CJI बी. आर. गवई सहित कई अन्य केंद्रीय मंत्री और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर जस्टिस सूर्यकांत के परिजन भी मौजूद थे।

कार्यकाल और न्यायिक यात्रा

कार्यकाल: जस्टिस सूर्यकांत लगभग 15 महीने तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे। उनका कार्यकाल 9 फरवरी, 2027 को उनकी सेवानिवृत्ति (65 वर्ष की आयु) पर समाप्त होगा।

पृष्ठभूमि: जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के एक गांव में हुआ था। वह अपने परिवार में पहली पीढ़ी के वकील हैं।

करियर की शुरुआत: उन्होंने 1984 में हिसार जिला न्यायालय में वकालत शुरू की और बाद में संवैधानिक, सेवा और दीवानी मामलों के विशेषज्ञ के रूप में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चले गए।

एडवोकेट जनरल: वह सिर्फ 38 साल की उम्र में हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) बने।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश: सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने से पहले, वह अक्टूबर 2018 से मई 2019 तक हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।

सुप्रीम कोर्ट के जज: उन्हें 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।

प्रमुख ऐतिहासिक फैसले

जस्टिस सूर्यकांत देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक फैसलों में शामिल रहे हैं। उनके प्रमुख निर्णयों में शामिल हैं:

अनुच्छेद 370: वह उस पीठ का हिस्सा थे जिसने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा।

राजद्रोह कानून: औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून (IPC की धारा 124ए) पर प्रभावी रूप से रोक लगाने वाली पीठ में शामिल थे।

पेगासस जासूसी मामला: पेगासस निगरानी के आरोपों की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त करने वाली पीठ का हिस्सा थे, जिसमें उन्होंने टिप्पणी की थी कि राज्य को "राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर खुली छूट" नहीं मिल सकती।

महिला प्रतिनिधित्व: उन्होंने बार एसोसिएशनों (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित) में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का निर्देश दिया।

जस्टिस सूर्यकांत के नेतृत्व में, देश की न्यायपालिका से यह अपेक्षा है कि वह सिविल लिबर्टीज, संघीय शक्तियों और चुनावी अखंडता जैसे महत्वपूर्ण मामलों में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

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