Friday, 31st of October 2025

यूपी में 'काऊ टूरिज़्म' के ज़रिए रोज़गार की संभावना तलाश रही है योगी सरकार

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  October 14th 2025 04:40 PM  |  Updated: October 14th 2025 04:40 PM
यूपी में 'काऊ टूरिज़्म' के ज़रिए रोज़गार की संभावना तलाश रही है योगी सरकार

यूपी में 'काऊ टूरिज़्म' के ज़रिए रोज़गार की संभावना तलाश रही है योगी सरकार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन में जुटी हुई है। इसी कड़ी में प्रदेश की तमाम गोशालाओं को आर्थिक रूप से मज़बूत करने के मक़सद से सरकार हर जनपद में एक आदर्श गोशाला स्थापित करेगी, जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके तहत 'काऊ टूरिज़्म' की संभावनाओं को भी तलाशा जाएगा। इस अभियान से गोशालाएं ना केवल आत्मनिर्भर बन सकेंगी, बल्कि स्थानीय लोगों को भी घर बैठे रोज़गार और आय का साधन मुहैया किया जा सकेगा।

सरकार की कोशिश है कि गाय से प्राप्त पदार्थों, जैसे - गोबर, गोमूत्र, दूध, घी और मूत्रजनित उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देकर राज्य की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। इस दिशा में महिला स्वयं सहायता समूहों को भी जोड़ा जाएगा, ताकि स्थानीय स्तर पर गोबर से बने उत्पादों का उत्पादन और विपणन किया जा सके। इसके तहत सरकार ने निर्देश दिए हैं कि दीपावली पर्व पर गाय के गोबर से बने दीपों, मूर्तियों और अन्य उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए और इनके प्रचार-प्रसार के लिए जनमानस में जागरूकता अभियान चलाया जाए। 

पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह के मुताबिक़ दीपावली के अवसर पर गोबर से बने दीप, मूर्तियां और सजावटी सामग्री के उपयोग को लेकर बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों की बाज़ारों में उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि आम नागरिक भी इनका उपयोग कर ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा दे सकें। 

यही नहीं, प्रमुख सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास मुकेश मेश्राम के अनुसार अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि गोशालाओं में गोबर और गोमूत्र के व्यवसायिक उपयोग के लिए स्थानीय स्तर पर योजनाएं तैयार की जाएं, गोशालाओं की आत्मनिर्भरता के साथ-साथ यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती देगी।

बहरहाल ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू की गई इस योजना से उत्तर प्रदेश में न केवल गोवंश संरक्षण को नई गति मिलेगी, बल्कि गौ-आधारित उत्पादों के माध्यम से स्वदेशी उद्योगों को भी नई पहचान मिलेगी।