Friday, 31st of October 2025

बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए के सीट बंटवारे ने किस-किसको चौंकाया?

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  October 13th 2025 05:25 PM  |  Updated: October 13th 2025 05:42 PM
बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए के सीट बंटवारे ने किस-किसको चौंकाया?

बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए के सीट बंटवारे ने किस-किसको चौंकाया?

लंबी जद्दोजहद और माथापच्ची के बाद, आख़िरकार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे की घोषणा कर ही दी। कुल-मिलाकर भारतीय जनता पार्टी 101 सीटों पर, जनता दल यूनाइटेड भी 101 सीटों पर और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर चुनाव लड़ती हुई नज़र आएगी। इनके अलावा, अन्य सहयोगी दल जैसे- जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम पार्टी (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 6-6 सीटें मिली हैं।

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के लिए पहले चरण के चुनाव  6 नवंबर को होने हैं, जिसके नामांकन की आख़िरी तारीख़ 17 अक्टूबर है। इसका मतलब ये हुआ कि एक हफ़्ते से भी कम वक़्त बचा है और राष्ट्रीय जनता दल के साथ कांग्रेस वाले महागठबंधन ने सीटों की घोषणा अभी तक नहीं की है। सीट बँटवारे की औपचारिक घोषणा के साथ एनडीए ने बिहार के चुनावी रण में पहला दांव चल दिया है। अब मीडिया गलियारों में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ये क़दम विपक्षी महागठबंधन से आगे निकलने में कारगर साबित होगा या नहीं?

सीट शेयरिंग पर एनडीए के सहयोगी नाराज़ तो नहीं हैं? 

इस बाबत  केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर पोस्ट किया, "हम एनडीए के साथियों ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में सीटों का बँटवारा पूरा किया, एनडीए के सभी दलों के कार्यकर्ता और नेता इसका ख़ुशी के साथ स्वागत करते हैं।" 8 अक्तूबर को हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी ने एक्स पर लिखा था, "हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही ख़ुशी से खाएँगे, परिजन पे असी ना उठाएँगे।" याद रहे कि इस पोस्ट को बिहार में एचएएम पार्टी के 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की हसरत से जोड़ा गया था। सीट बँटवारे के बाद एचएएम के प्रमुख जीतन राम मांझी से पूछा गया कि क्या वह इस फ़ैसले से ख़ुश हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "पार्लियामेंट (चुनाव) में हमको एक सीट मिली थी तो हम क्या नाराज़ थे, वैसे ही जैसे आज छह सीटों की बात की गई है यह आलाकमान का निर्णय है।" एनडीए में सिर्फ़ जीतन राम मांझी की पार्टी ने मांग के रूप 15 सीटों की संख्या बताई थी। ख़ुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'हनुमान' बताने वाले चिराग पासवान की पार्टी की तरफ़ से कहा जा रहा था कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। हालांकि, एलजेपी (आर) ने स्पष्ट रूप से यह आंकड़ा नहीं बताया था कि उन्हें कितनी सीटें चाहिए। अब चिराग पासवान ने एक्स पर पोस्ट लिखा है कि सीटों का बंटवारा सौहार्दपूर्ण वातावरण में किया गया है। वहीं सीट शेयरिंग पर समझौते के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया एक्स पर पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए लिखा, "आप सभी से क्षमा चाहता हूँ, आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पाई. मैं समझ रहा हूँ, इस निर्णय से अपनी पार्टी के उम्मीदवार होने की इच्छा रखने वाले साथियों सहित हजारों-लाखों लोगों का मन दुखी होगा, किसी भी निर्णय के पीछे कुछ परिस्थितियाँ ऐसी भी होती हैं जो बाहर से नहीं दिखतीं, हम जानते हैं कि अंदर की परिस्थितियों से अनभिज्ञता के कारण आपके मन में मेरे प्रति ग़ुस्सा भी होगा, जो स्वाभाविक भी है, आपसे विनम्र आग्रह है कि आप ग़ुस्से को शांत होने दीजिए।"

महागठबंधन में बेचैनी है? 

अब महागठबंधन में सीटों की शेयरिंग को लेकर सुगबुगाहट अपने शबाब पर पहुंच चुकी है। शायद यही वजह है कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने इशारों-इशारों में महागठबंधन के सीट बँटवारे के बारे में बताया है। उन्होंने कहा, "महागठबंधन थोड़ा सा अस्वस्थ हुआ है , दिल्ली जा रहा हूं और सभी डॉक्टर दिल्ली में हैं और वहाँ बेहतर उपचार हो जाएगा, स्वस्थ होकर पटना लौटेंगे।" वैसे सियासी हलकों में ख़बर ये भी है कि सीपीआई (एमएल) ख़ुश नहीं है, सीपीआई (एमएल) ने पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, लिहाज़ा वो ज़्यादा सीट मांग रहे हैं, लेकिन महागठबंधन की तरफ़ से उन्हें पिछली बार की तरह सिर्फ़ 19 सीटें देने की बात की जा रही है, हालांकि माले ने 40 सीट की मांग की थी और वो 30 तक आ गए हैं।" इन तमाम तरह के क़यासों के इतर, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम का कहना है कि दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होनी है, उसके बाद ही सीटों को लेकर फ़ैसला होगा। राजेश राम ने चुटकी लेते हुए कहा है, "एनडीए गठबंधन बीमार है और इंडिया गठबंधन बिलकुल स्वस्थ है।" आरजेडी-कांग्रेस की आपसी सहमति अपनी जगह, लेकिन ख़ासतौर पर छोटी पार्टियों के प्रमुखों को मनाना तेजस्वी यादव के सामने बड़ी चुनौती तो है ही।

क्या एनडीए अभी इक्कीस है?

साल 2020 में एनडीए ने एकता नहीं दिखाई थी, ये जगज़ाहिर था, नतीजतनत वोटों का बिखराव हुआ और महागठबंधन को फ़ायदा हुआ था। इस बार ऐसा लग रहा है कि सीट शेयरिंग के फ़ॉर्मूले को सार्वजनिक कर एनडीए ने पहले पड़ाव में से संदेश दे दिया है कि एनडीए में कोई दरार नहीं है। बिहार की राजनीति में पहली बार ऐसा हो रहा है कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन बराबर सीटों पर चुनाव लड़ती हुई नज़र आएंगी। साल 2020 में जेडीयू ने 122 और बीजेपी ने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि इसमें जेडीयू ने अपने हिस्से में से एचएएम को सात सीटें दीं और बीजेपी ने अपने कोटे से मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 11 सीटें दे दी थीं। बहरहाल बिहार में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होना है, जिसके लिए 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 14 नवंबर को नतीजों का एलान होगा। अब देखना ये होगा कि सिस्टम के धनी नीतीश बाबू और पीएम मोदी का जादू बिहार में बरक़रार रहेगा या फिर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी जेडीयू और भाजपा को गद्दी छोड़ने पर मजबूर कर देगी।

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