लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति की धुरी लंबे वक़्त तक बसपा के आस-पास घूमती रही है, शायद यही वजह है कि बहुजन समाज पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं, जुनूनी समर्थकों और आशावादी पदाधिकारियों की मेहनत की बदौलत सूबे में मायावती को पांच बार मुख्यमंत्री का गौरव हासिल हुआ है। अब काफ़ी अरसे से बसपा से सत्ता से बाहर है। बात चाहे विधानसभा की हो, या फ़िर लोकसभा की, चुनाव के हर दंगल में बसपा की दमदार मौजूदगी जाती रही है। 
गगन में नीला झंडा फ़िर उसी शान से लहरा सके, इसी जुगत में मायावती की जद्दोजहद जारी है। अपनी सोशल इंजीनियरिंग के समीकरण की बदौलत मायावती 2027 के विधानसभा चुनाव में शानदार वापिसी करने को बेताब नज़र आ रही हैं, हालांकि नतीजे क्या रहेंगे, ये तो भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है, लेकिन पार्टी की रैलियों, जनसभाओं और बैठकों के सिलसिल को देखकर ये कहा जा सकता है कि बहुजन समाज पार्टी का केडर अभी एक्टिव है और अंबेडकर-कांशीराम की विचारधारा को लेकर आज भी अडिग है।
इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। मीडिया गलियारों में सुगबुगाहट ये है कि ये बैठक हाल ही में 9 अक्टूबर को हुए कांशीराम परिनिर्वाण दिवस की विशाल रैली में उमड़े जनसैलाब से प्रभावित होकर आयोजित की गई है। बैठक में ख़ासतौर पर आगामी 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति, संगठन की मज़बूती और पार्टी के मिशन-विज़न को आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श और चिंतन-मनन किया गया।
2027 के लिए बसपा ने कसी कमर!
करीब 2 घंटे चली बैठक में बसपा के 500 पदाधिकारी शामिल हुए। साथ ही उत्तर प्रदेश में होने वालें 2027 के चुनावी रणनीति पर गंभीर चर्चा की गई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी में सत्ता वापिसी के लिए जहां अपने कार्यक्रताओं को चुनावी मंत्र दिया, वहीं आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में तन, मन से जुटने के लिए निर्देश भी दिए गए।  मायावती ने कार्यकर्ताओं के उत्साह को देखते हुए उन्हें 2027 के चुनाव की तैयारियों में अभी से पूरी ताकत से जुटने के दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा, बसपा ही सामाजिक परिवर्तन की एकमात्र अम्बेडकरवादी पार्टी है। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि हाल की रैली में उमड़ी भीड़ ने विरोधियों के सारे कयासों को खारिज कर दिया है और बसपा कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भर दिया है। 
बूथ पर मज़बूती से जुटना होगा - मायावती
यही नहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने संगठन के पुनर्गठन और बूथ स्तर तक पार्टी को मज़बूत करने पर भी ज़ोर दिया, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में बसपा अपने दम पर सत्ता में वापसी की राह तलाश सके। उन्होंने साफ़ किया कि पार्टी किसी बड़े दल से गठबंधन नहीं करेगी। सूत्रों की मानें तो जिन पदाधिकारियों ने रैली को सफल बनाने में दिन-रात मेहनत की, उन्हें ज़िम्मेदारियां मिल सकती हैं, वहीं कमज़ोर प्रदर्शन करने वालों से जवाबदेही भी तय की जा सकती है। 
बहरहाल, 2027 के मिशन 230 के लिए बसपा की रूपरेखा और कार्यशैली को अंतिम रूप देने की दिशा में ये बैठक एक बड़ा क़मद माना जा रहा है।