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            अयोध्या : 'दीपोत्सव' शुरू होने के बाद से अयोध्या के कुम्हार परिवारों के घरों में ख़ुशहाली का उजाला फैल गया है। जो युवा कभी काम की तलाश में बाहर जाते थे, वे अब अपनी ही धरती पर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। योगी सरकार के प्रयासों से शुरू हुए 'दीपोत्सव' ने ना केवल अयोध्या की अर्थव्यवस्था को बल दिया है, बल्कि 'पारंपरिक मिट्टी कला' को भी नई पहचान दी है।
नौवें दीपोत्सव में इस बार 26 लाख 11 हज़ार 101 दीप जलाने का लक्ष्य रखा गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश पर दीपोत्सव की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। अवध विश्वविद्यालय के छात्र, अधिकारी और स्वयंसेवी संगठन भी इस 'महाउत्सव' को ऐतिहासिक बनाने में जुटे हैं।
स्थानीय गांव के बृज किशोर प्रजापति बताते हैं कि जबसे दीपोत्सव मनाया जा रहा है, तब से वे और उनका परिवार लगातार दीए बना रहे हैं। इस बार उन्हें दो लाख दीए बनाने का ऑर्डर मिला है। उन्होंने कहा कि दीपोत्सव की परंपरा शुरू कर हमारे जैसे परिवारों को भी सरकार ने रोज़गार से जोड़ दिया है, अब हम आत्मनिर्भर हैं।
मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बढ़ रही उत्पादन क्षमता
पुराने ढर्रे को छोड़कर अब कुम्हार आधुनिक इलेक्ट्रिक चाक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे ना केवल उत्पादन में तेज़ी आई है, बल्कि दीयों की क्वालिटी भी बेहतर हुई है। जयसिंहपुर गांव के क़रीब 40 से ज़्यादा कुम्हार परिवार दीपोत्सव के लिए दिन-रात मिट्टी के दीए बनाने में जुटे हैं।
हज़ारों कमाने वाले कमा रहे हैं लाखों
2017 से पहले ये कुम्हार रोज़ी-रोटी के लिए संघर्ष करते थे। दीपोत्सव शुरू होने के बाद उनकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई है। पहले जहां ये परिवार महीने में 20 से 25 हज़ार रुपये कमाते थे, वहीं अब दीपोत्सव के दौरान ही लाखों रुपये की आमदनी हो जाती है।
सोहावल की पिंकी प्रजापति बताती हैं कि इस बार उन्हें एक लाख दीए बनाने का ऑर्डर मिला है। उन्होंने कहा, पहले दीपावली के समय दीए सस्ते बिकते थे, अब सरकार के आह्वान से बाज़ार में अच्छा रेट मिल रहा है।
दीपोत्सव ने बाज़ार को दी नई पहचान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर दीपोत्सव में मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे स्थानीय कुम्हारों को बड़े स्तर पर ऑर्डर मिल रहे हैं। जयसिंहपुर, विद्याकुण्ड, सोहावल और आसपास के गांवों में इस समय उत्सव जैसा माहौल है।
अयोध्या के स्थानीय निवासी रामभवन प्रजापति, गुड्डू प्रजापति, राजू प्रजापति, जगन्नाथ प्रजापति, राम भवन प्रजापति, सुनील प्रजापति और संतोष प्रजापति समेत यहां सैकड़ों की संख्या में पूरा परिवार मिट्टी गूंथने, आकार देने और दीयों को सुखाने-बेचने में जुटा है।
 
			 
			 
			 
			 
			 
			 
			