Thursday, 20th of November 2025

दुनियाभर में मनाए गए 'विश्व शौचालय दिवस' के बारे में कितना जानते हैं आप?

Reported by: GTC News Desk  |  Edited by: Mohd Juber Khan  |  November 20th 2025 12:33 PM  |  Updated: November 20th 2025 12:33 PM
दुनियाभर में मनाए गए 'विश्व शौचालय दिवस' के बारे में कितना जानते हैं आप?

दुनियाभर में मनाए गए 'विश्व शौचालय दिवस' के बारे में कितना जानते हैं आप?

GTC News: 19 नवंबर को विश्वभर में 'विश्व शौचालय दिवस' मनाया गया। आपको बता दें कि साल 2025 के लिए 'विश्व शौचालय दिवस' की थीम - 'बदलती दुनिया में स्वच्छता' है। इस थीम का अहम संदेश यह है कि दुनिया तेज़ी से बदल रही है,जनसंख्या बढ़ रही है, शहर फैल रहे हैं, जलवायु परिवर्तन नई चुनौतियां पैदा कर रहा है। ऐसे समय में हमें ऐसे स्वच्छता तंत्रों की ज़रुरत है, जो भविष्य के लिए तैयार हों, मज़बूत हों, टिकाऊ हों और हर व्यक्ति को सहूलियत मुहैया करा सकें।

क्या है 'विश्व शौचालय दिवस' का इतिहास?

'विश्व शौचालय दिवस' की शुरुआत सिंगापुर के समाजसेवी जैक सिम ने की थी। उन्होंने 19 नवंबर को विश्व शौचालय संगठन (विश्व शौचालय संगठन - डब्ल्यूटीओ) की स्थापना की, जिसका मक़सद दुनिया भर में स्वच्छता से जुड़ी समस्याओं को उज़ागर करना और उनके समाधान के लिए लोगों को जागरूक करना था। साल 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने पानी और स्वच्छता को मानव का मूल अधिकार घोषित किया। इसके बाद विश्व शौचालय दिवस का संदेश और भी मज़बूत हुआ। आख़िरकार 14 जुलाई 2013 को संयुक्त राष्ट्र ने 19 नवंबर को आधिकारिक रूप से 'विश्व शौचालय दिवस' के रूप में मान्यता दी। तब से यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है।

दुनियाभर में क्या है शौच और सेहत का कनेक्शन?

यक़ीनन सेहत यानी स्वच्छता की फील्ड में दुनिया ने काफ़ी काम किया है, लेकिन बेशक़ अभी भी कई गंभीर चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे ... 

- लगभग 3.4 अरब लोग अभी भी सुरक्षित रूप से प्रबंधित शौचालय सुविधाओं से दूर हैं।

- कमोबेश 35.4 करोड़ लोग आज भी खुले में शौच करते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ता है और महिलाओं-लड़कियों की सुरक्षा पर असर पड़ता है।

- दूषित पानी, स्वच्छता की कमी और गंदगी की वजह से रोज़ाना 1,000 से ज़्यादा पांच वर्ष से से कम उम्र के बच्चों की मौत हो जाती है।

- स्वच्छता तंत्र से निकलने वाली मीथेन गैस ग्लेशियरों के पिघलने और समुद्र स्तर बढ़ने की समस्या को और गंभीर बनाती है।

- डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ का अनुमान है कि 2030 तक भी तीन अरब लोग सुरक्षित शौचालय से वंचित रह सकते हैं, जो एसडीजी-6 को हासिल करने में बड़ी बाधा होगी।

यानी ये यह संवेदनशील आंकड़े इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं कि स्वच्छता केवल स्वास्थ्य से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि पर्यावरण और सामाजिक विकास का मूल स्तंभ भी है।

भारत में स्वच्छता की दिशा में कदम : 'स्वच्छ भारत मिशन'

भारत सरकार ने साल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) शुरू किया। यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान माना जाता है। इसका उद्देश्य खुले में शौच की प्रथा को ख़त्म करना और गांव-शहर दोनों में शौचालयों का विस्तार करना था।

स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण (एसबीएम-जी)

साल 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 11.73 करोड़ से ज़्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया। देश के 5.57 लाख से अधिक गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, बेहतर स्वच्छता के कारण 2019 तक दस्त से होने वाली तीन लाख मौतों में कमी देखी गई।

ओडीएफ गांवों में हर परिवार ने औसतन 50,000 रुपये की स्वास्थ्य खर्च में बचत दर्ज की। सबसे अहम बात यह रही कि 93 फीसदी महिलाओं ने कहा कि शौचालय बनने के बाद उन्हें ज़्यादा सुरक्षित महसूस होता है।

स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (एसबीएम-यू)

साल 2024 तक शहरी इलाकों में 63.63 लाख घरों के शौचालय और 6.36 लाख से अधिक सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण हुआ। देश के 4,576 शहर ओडीएफ घोषित किए जा चुके हैं, जबकि अनेक शहर ओडीएफ प्लस और ओडीएफ प्लस-प्लस की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

इन उपलब्धियों ने भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और महिलाओं की गरिमा को मजबूत किया है। यह मिशन दुनिया के लिए एक उदाहरण बना है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी एक साथ आएं, तो बड़े बदलाव सुधारों के साथ मुमकिन हैं।

बहरहाल कहा जा सकता है कि 'विश्व शौचालय दिवस' हमें यह याद दिलाता है कि सुरक्षित शौचालय किसी व्यक्ति की बुनियादी गरिमा से जुड़ा अधिकार है। हालांकि आज भी दुनिया में करोड़ों लोगों के पास यह सहूलियत नहीं है, इसलिए सरकारों, संगठनों और आम नागरिकों को मिलकर काम करने की ज़रुरत है।

कुल-मिलाकार भारत का स्वच्छ भारत मिशन यह साबित करता है कि सही दिशा में किए गए प्रयास कितने किफ़ायती हो सकते हैं।

एक स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य तभी संभव है जब हर व्यक्ति के पास सुरक्षित शौचालय की सुविधा हो, यही असल में 'विश्व शौचालय दिवस' का असली संदेश है।